अमेरिका तानाशाही का समर्थक: जरदारी
जरदारी ने कहा कि अमेरिका 1980 में शीत युद्ध के कारण पाकिस्तान में तानाशाही को जायज ठहराता था। अब 21 वीं शदी में तानाशाही को 'आतंकवाद के खिलाफ युद्ध' के नाम पर जायज कहा जा रहा है। जरदारी का मानना है कि इससे केवल आतंकवादियों को ही शक्ति प्राप्त होती है और देश के लोग अमेरिका के खिलाफ हो गए हैं।
जरदारी ने कहा कि आर्थिक रूप से समृद्ध और लोकतांत्रिक पाकिस्तान के लिए लंबे समय तक अमरिकी प्रतिबद्धता से ही इस प्रक्रिया को बदला जा सकता है।
जरदारी का मानना है कि अमेरिकी कांग्रेस इस बात को महसूस करेगी कि दक्षिण एशिया की स्थिरता में ही उनका हित है और इस क्षेत्र की स्थिरता की कुंजी लोकतांत्रिक और आर्थिक रूप से संपन्न पाकिस्तान में ही निहित है।
जरदारी का मानना है कि पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते सैनिक जरूरतों पर आधारित हैं, जबकि इनको मूल्यों के आदान-प्रदान और आपसी सम्मान पर आधारित होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि पश्चिमी देश पाकिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए लंबे समय की योजना के प्रति समर्थन दिखाएं, अर्थव्यवस्था के विकास, एक स्कूल व्यवस्था के निर्माण और स्वास्थ्य व्यवस्था के निर्माण में सहयोग करें तो हमारी सीमा से आतंकवाद का खतरा समाप्त हो सकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।