सामाजिक सक्रियता बनाए रखती है याददाश्त को मजबूत
वाशिंगटन, 30 मई (आईएएनएस)। ऐसे बुजुर्ग जो सामाजिक रूप से अधिक सक्रिय होते हैं, उनकी याददाश्त अधिक टिकाऊ होती है। एक नए अध्ययन से इसकी पुष्टि हुई है।
इससे पहले के वैज्ञानिक शोध यह साबित कर चुके हैं कि सामाजिक सक्रियता वाली जिंदगी बुजुर्गो को विक्षिप्तता की जद में जाने से रोकती है। स्मरण शक्ति के क्षरण से बुजुर्ग के विक्षिप्त होने का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं के दल का नेतृत्व हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से संबद्ध करेन अरटेल ने किया।
उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि यह शोध बुजुर्गो के मानसिक स्वास्थ्य और उनकी सामाजिक सक्रियता के बीच के रिश्ते को विश्लेषित करने में सहायक होगा। मेरा मानना है कि इंसान के स्वास्थ्य के निर्धारण में समाज का खास रोल है।"
अरटेल ने 1998 से 2004 तक हेल्थ एंड रिटायरमेंट स्टडी के अंतर्गत जुटाए गए आंकड़ों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। इसके अंतर्गत वर्ष 1998, 2000, 2002 और 2004 में उम्रदराज लोगों की याददाश्त का आकलन किया गया। शोध से पता चलता है कि अधिक सक्रियता वाले बुजुर्गो की स्मरण शक्ति अधिक मजबूत है।
अलग-थलग रहने वाले लोगों की तुलना में समाज में सक्रिय रहने वाले लोगों की स्मरण शक्ति में कम क्षरण दर्ज किया गया। सक्रिय लोगों के स्मरण में क्षरण की दर अलग-थलग रहने वाले लोगों की तुलना में 50 फीसदी कम पाई गई। यह रिपोर्ट अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ के जून अंक में प्रकाशित होगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।