तेल कीमतें रोकने को बढ़ेगा आयकर
केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम व केंद्रीय तेल व प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवड़ा के बीच मंगलवार को हुई बैठक के दौरान इस प्रस्ताव पर विचार किया गया। इस प्रस्ताव का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र की तीन तेल कंपनियों, इंडियन आयल कारपोरेशन, भारत पेट्रोलियम व हिंदुस्तान पेट्रोलियम के बढ़ते घाटे की भरपाई करना है। अनुमानों के मुताबिक एक फीसदी का अधिभार लगाने से 3000 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति हो सकती है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामदलों के प्रबल विरोध को देखते हुए सरकार पर इस बात के लिए दबाव बढ़ गया है कि वह तेल की कीमतों में वृद्धि से फिलहाल बाज आए। कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम के मद्देनजर भी महंगाई को लेकर फूंक-फूंक कर कदम उठाना सरकार की मजबूरी हो गई है।
दूसरी ओर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की स्थिति में महंगाई दर में और वृद्धि निश्चित है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) से जारी आंकड़ों के अनुसार 10 मई को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान देश में महंगाई दर 7.82 फीसदी थी।
विश्लेषकों का यह भी मानना है कि सरकार फिलहाल सीएसओ से शुक्रवार को जारी होने वाले महंगाई आंकड़ों तक इंतजार कर लेना चाहती है, अगर इन आंकड़ों में उल्लेखनीय कमी आती है तो सरकार के लिए कीमतों में वृद्धि करने की राह कुछ आसान हो सकती है। महंगाई आंकड़ों में फिलहाल कमी की संभावना हालांकि कम ही दिखती है। इस बीच ऐसी भी रिपोर्ट आई है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को अनिवार्य बताया है।
केंद्रीय तेल व प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा है कि तेल कंपनियों को राहत प्रदान करने के संबंध में वित्त मंत्री के साथ कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है लेकिन अंतिम फैसले पर पहुंचना अभी बाकी है।
मुरली देवड़ा के अनुसार घरेलू स्तर पर तेल व प्राकृतिक गैस की तुलनात्मक रूप से कम कीमतों की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों का घाटा मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान बढ़कर बढ़कर 200 अरब रुपये तक जा पहुंचा है।
तेल व प्राकृतिक गैस मंत्री ने हालांकि विश्वास जताया कि इस मामले में अंतिम निर्णय जल्दी ही ले लिया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।