हाथी पर बैठने को तैयारः नरेश अग्रवाल
नरेश अग्रवाल के साथ विधान परिषद के सदस्य राजकुमार अग्रवाल भी बुधवार को बसपा में शामिल हो सकते हैं। राजकुमार अग्रवाल ने कहा, " नरेश अग्रवाल का जो आदेश होगा वैसा ही करेंगे। यदि वह कल बसपा में शामिल होने को कहेंगे तो मैं कल ही उस पार्टी में शामिल हो जाऊंगा।"
नरेश अग्रवाल के बारे में औपचारिक घोषणा कल बसपा प्रमुख मायावती खुद करेंगी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि नरेश को पार्टी संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने के साथ ही फरूखाबाद से बसपा का लोकसभा प्रत्याशी भी घोषित किया जा सकता है।
साथ ही नरेश द्वारा खाली की गयी हरदोई विधानसभा सीट से उनके बेटे नितिन अग्रवाल अथवा परिवार के किसी अन्य सदस्य को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब नरेश अग्रवाल ने सत्ता की चाहत में पाला बदला है।
पहली बार वर्ष 1997 में वह तब सुर्खियों में आए थे जब बसपा द्वारा तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस करने पर नरेश अग्रवाल ने 22 अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और फिर सरकार में शामिल हो गए।
सहयोगी दल होने की पूरी राजनीतिक कीमत वसूल करने में अभ्यस्त माने जाने वाले तत्कालीन ऊर्जा मंत्री नरेश को उस समय झटका लगा जब तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने 2001 में उनकी विवादास्पद बयानबाजी के चलते उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था।
इसके
बाद
नरेश
ने
समाजवादी
पार्टी
में
शरण
ली
और
मुलायम
सरकार
में
पहले
पर्यटन
और
फिर
परिवहन
मंत्री
रहे।
सपा
सरकार
गयी
तो
नरेश
अग्रवाल
का
मन
भी
पार्टी
से
उचट
गया
और
अब
वह
सत्ता
में
कायम
बसपा
की
हाथी
की
सवारी
करने
जा
रहे
हैं।
इंडो-एशियन
न्यूज
सर्विस।