अमूल की राह चल सकता है खजूर पेड़ का जूस 'नीरा'
अहमदाबाद, 17 मई (आईएएनएस)। खजूर के पेड़ से बनाई गई जूस 'नीरा' के लिए अब ऐसी तकनीक का इजाद की गई है जिससे यह काफी समय तक खराब नहीं होगा।
पुणे के राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) के एक वैज्ञानिक संजय नेने ने आईएएनएस को फोन पर बताया कि इस तकनीक की मदद से इस जूस को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी।
नेने के मुताबिक खजूर के पेड़ का यह जूस ठीक उसी तरह काम करेगा, जैसा कि अमूल ने दूध के लिए काम किया और देश में 'श्वेत क्रांति' आई।
उन्होंने कहा कि इस तकनीक में आसवन की पद्धति अपनाई गई है। इसके लिए गुजरात के नीरा और वलसाड जिले में कलगाम के तलपादारथ ग्रामोद्योग संघ मिलकर काम करेंगे।
नेने ने कहा कि अगर इस जूस को उचित ढंग से पैक कर संरक्षित किया जाए तो इसे सही स्थिति में दूरदराज के स्थानों पर भी भेजा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद जूस को 30 दिनों तक सही रखा जा सकता है।
नेने ने कहा कि देश भर में अनुमान के अनुसार 15 करोड़ खजूर के पेड़ हैं। केंद्र सरकार नीरा को जूस के रूप में विकसित करने के लिए 'पारंपरिक उद्योग के लिए पुनरोद्धार कोष' के तहत काम कर रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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