'खुदरा क्षेत्र के वैश्विक कारोबार के लिए नई रणनीति की जरूरत है'
मुंबई, 15 मई (आईएएनएस)। डेलोएट रिसर्च के निदेशक डा. इरा कैलिश ने कहा है कि 21वीं शताब्दी में खुदरा क्षेत्र की समृद्धि के लिए बनाई जा रही रणनीति में विविधिकरण, ब्रांडिंग, ग्राहकों के अनुभव, कमोडिटी के क्षेत्र में शोध, क्रय शक्ति और लगातार अध्ययन पर जोर देना जरूरी है।
कैलिश आज भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में '21वीं सदी में खुदरा क्षेत्र' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र के वैश्विक कारोबार पर इंटरनेट का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। ग्राहक अब खुदरा दुकानों पर जाने के बजाए इंटरनेट आधारित खरीदारी को तरजीह देने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षो के दौरान अमेरिका में इंटरनेट आधारित खरीदारी में 0 से 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसलिए इस क्षेत्र में हो रहे शोध को गति देने की जरूरत है।
डा कैलिश ने कहा, "नए नए उत्पादों की खोज में निवेश बढ़ाना, स्वास्थ्य पर जोर देना, सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति सजगता और इसके लिए इच्छाशक्ति वैश्विक खुदरा कारोबार के समक्ष प्रमुख चुनौतियां हैं।"
इस मौके पर डेलोएट हास्किंस एंड सेल्स के कारोबारी हिस्सेदार श्यामक टाटा ने कहा, "वित्त वर्ष 2007 में भारत का कुल सकल घरेलू उत्पाद लगभग 1036 अरब डालर का था। इसमें खुदरा क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 295 अरब डालर की थी। वर्ष 2004 में संगठित खुदरा क्षेत्र की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत थी जो वर्ष 2007 में बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई।"
टाटा ने कहा कि भारतीय खुदरा क्षेत्र के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती विविधिकरण, पर्यावरण, कारोबार के लिए स्थान का निर्धारण, संचालन, नए नए शोध, योग्यता, तकनीक और नए प्रतियोगियों की ओर से पेश आ रही प्रतिस्पर्धा से निपटने के लिए निर्णय लेने में देरी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।