सीआईआई सरकार के साथ मिलकर 10 -सूत्रीय एजेंडा पर काम करेगी (लीड)
नई दिल्ली, 11 मई (आईएएनएस)। अप्रैल 2007-मार्च 2008 के सर्वेक्षण से प्राप्त परिणामों के आधार पर तैयार 10 सूत्रीय एजेंडा पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) सरकार के साथ मिलकर संयुक्त रूप से काम करेगा ताकि सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्रों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 25 फीसदी तक किया जा सके।
सीआईआई द्वारा जिन 104 विर्निमाण क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया गया, उसमें से कुल 16 क्षेत्रों में विकास दर में 20 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि 32 क्षेत्रों में आलोच्य अवधि के दौरान विकास दर 10 से 20 फीसदी रही। कुल 39 क्षेत्रों में विकास दर 10 फीसदी से नीचे रही है, जबकि 17 क्षेत्रों में विकास दर में कमी दर्ज की गई।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रथम दो वर्गो यानी शानदार और उच्च विकास दर वाले क्षेत्रों में आलोच्य वर्ष की अंतिम तिमाही के दौरान उपलब्धि कुल मिलाकर पिछले वर्ष यानी वर्ष 2006-07 की अंतिम तिमाही के समान ही रही। औसत विकास दर वाले क्षेत्रों में हालांकि पिछले वर्ष की अंतिम तिमाही की तुलना में उपलब्धियों में मामूली गिरावट दर्ज की गई। उल्लेखनीय बात रही कि आलोच्य अवधि के दौरान जिन क्षेत्रों में विकास दर में कमी दर्ज की गई थी, उनमें पिछेल वर्ष की अंतिम तिमाही की तुलना में विकास दर में बढ़ोतरी हुई है।
सीआईआई एस्कान सर्वे को जारी करते हुए भारतीय उद्योग परिसंघ के विनिर्माण परिषद के चेयरमैन सुरेंद्र कपूर ने कहा कि सर्वेक्षण के परिणाम इसलिए मायने रखते हैं कि जिन क्षेत्रों में पिछले वर्ष शानदार और उच्च विकास दर हासिल की गई थी, आलोच्य अवधि के दौरान उन क्षेत्रों में औसत से ऋणात्मक विकास दर दर्ज की गई। परिणाम यह भी दर्शाते हैं कि आलोच्य अवधि के दौरान कई क्षेत्रों में विकास दर पिछले वर्ष की तुलना में शानदार, उच्च या कमोबेश समान रही है।
कपूर के मुताबिक स्पंज आयरन, पावर केबल, इलेक्ट्रिक मोटर, पावर ट्रांसफार्मर, पर्सनल कंप्यूटर, मूंगफली तेल और ट्रांसमिशन लाइन टावर जैसे क्षेत्रों में पिछले वर्ष की तुलना में विकास दर शानदार रही है। इंडस्ट्रीयल वाल्व, सर्किट ब्रेकर्स, एब्रेसिव, कलर टीवी, एयर कंडीश्नर, रबर हासेज, सोया, इंडस्ट्रीयल गैस, हाइड्रोजन, कार्बन डाईआक्साइड, आक्सीजन, एलसीवी, कार स्कूटर्स व मोपेड जैसे विनिर्माण क्षेत्रों में विकास दर उच्च रही। एजबेस्टस सीमेंट, सीमेंट, बाल एंड रोलर बियरिंग तथा वनस्पति निर्माण के क्षेत्रों में विकास दर औसतन रही। फर्टिलाइजर्स , मशीन टूल्स, ट्रैक्टर्स , तिपहिया वाहन, मोटर साइकिल व इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहन के क्षेत्रों में विकास दर ऋणात्मक रही।
भारतीय उद्योग परिसंघ की उप महानिदेशक सरिता नागपाल का कहना है कि परिणाम इस बात के सूचक हैं कि घरेलू विनिर्माण क्षेत्र उच्च ब्याज-दर, कम साख उपलब्धता और रुपये में मजबूती के बावजूद सतत विकास की ओर अग्रसर है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।