रुपये में कमजोरी शेयर बाजार और महंगाई के लिए शुभ नहीं
नई दिल्ली, 11 मई (आईएएनएस)। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी व पूंजी के अंतर्प्रवाह में कमी के मद्देनजर घरेलू शेयर बाजार को आने वाले सप्ताह भी राहत की उम्मीद नहीं है।
नई दिल्ली, 11 मई (आईएएनएस)। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी व पूंजी के अंतर्प्रवाह में कमी के मद्देनजर घरेलू शेयर बाजार को आने वाले सप्ताह भी राहत की उम्मीद नहीं है।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार पूंजी के प्रवाह में कमी और कच्चे तेल की कीमतों में रिकार्ड तेजी के चलते चालू खातों पर बढ़ते दबाव की वजह से डालर की तुलना में रुपये में और कमजोरी की आशंका बरकरार है। आंकड़ों के विवेचन से इस बात की पुष्टि होती है।
मई 2008 के पहले सात दिनों के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा बाजार से कुल 75.10 करोड़ रुपये की निकासी की गई। वहीं, समान अवधि के दौरान घरेलू निवेश सिर्फ 15.90 करोड़ रुपये का रहा। मौजूदा वर्ष की शुरुआत से लेकर 7 मई तक विदेशी संस्थागत निवेशक बाजार से 10,433.20 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। मौजूदा वर्ष के दौरान अब तक विदेशी निवेशक तकरीबन 3 डालर की निकासी कर चुके हैं जबकि पिछेल वर्ष उन्होंने समान अवधि के दौरान 17.4 अरब डालर का निवेश किया था।
आलोच्य सप्ताह के दौरान लगातार तीन कारोबारी दिवस यानी मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को डालर की तुलना में रुपये में लगातार गिरावट दर्ज की गई। डालर में बढ़ती मांग के बीच गुरुवार को रुपया 41.77 रुपये प्रति डालर यानी पिछले एक वर्ष के न्यूनतम स्तर पर चला गया। लगातार तीन कारोबारी दिवस की गिरावट के बाद सप्ताहांत कारोबार के दौरान रुपये में हालांकि रिकवरी दर्ज की गई और यह 41.77 रुपये प्रति डालर बंद हुआ।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से जहां आयात खर्च में बढ़ोतरी होने से चालू खाते पर दबाव बढ़ा है, वहीं मांग की तुलना में डालर की कम आपूर्ति से भी डालर की तुलना में रुपया कमजोर हुआ है। विभिन्न तेल शोधक कंपनियां फिलहाल तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के मद्देनजर डालर खरीदने में जुटी हुई है।
न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नाइमेक्स) में सप्ताहांत कारोबार के दौरान तेल का जून वायदा 126.25 डालर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर तक चला गया। लंदन के आईसीई वायदा में भी सप्ताहांत ब्रेंट क्रूड का जून वायदा 125.25 डालर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर पर दर्ज किया गया।
बाजार विशेषज्ञ मान रहे हैं कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से चालू खातों पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर महंगाई में फिलहाल कमी की कोई संभावना नहीं है। महंगाई में और तेजी की स्थिति में सरकार इस पर नियंत्रण के बाबत मौद्रिक, आथिर्क व व्यापारिक उपायों की घोषणा कर सकती है और इन नकारात्मक स्थितियों के बीच शेयर बाजार पर दबाव बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता।
केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 26 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान देश में महंगाई दर बढ़कर 42 महीनों के उच्चतम स्तर यानी 7.61 फीसदी के स्तर पर बरकारार रही। गत 19 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान देश में महंगाई दर 7.57 फीसदी थी।
उधर, अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप को वर्ष की प्रथम तिमाही के दौरान हुए घाटे और यूरोपीय सेंट्रल बैंक व बैंक आफ इंग्लैंड द्वारा गुरुवार की बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा के मद्देनजर डालर बास्केट की अन्य मुद्राओं की तुलना में सप्ताहांत कमजोर रहा। वर्ष की प्रथम तिमाही के वित्तीय नतीजों के अनुसार कंपनी को इस दौरान कुल 7.8 अरब डालर का नुकसान हुआ।
यूरोपीय सेंट्रल बैंक व बैंक आफ इंग्लैंड दोनों ने ब्याज दर को क्रमश: 4 और 5 फीसदी के स्तर पर बरकरार रखा है। अमेरिका से सप्ताहांत जारी अनुमान से बेहतर व्यापार आंकड़ों से हालांकि डालर को मामूली सहारा मिला, बावजूद नरमी बरकरार रही। सप्ताहांत डालर बास्केट की अन्य मुद्राओं की तुलना में 73.05 अंक नीचे दर्ज किया गया।
मुंबई स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सप्ताहांत 17,020.79 के स्तर पर खुला और 16,678.94 और 17,125.95 के निम्नतम और उच्चतम स्तर के बीच कारोबार करते हुए अंतत: 343.58 अंक यानी 2.01 फीसदी गिरकर 16,737.07 के स्तर पर बंद हुआ।
राष्ट्रीय शेयर बाजार (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी भी सप्ताहांत कारोबार के दौरान 4,969.40 और 5,087.65 के बीच कारोबार करते हुए 99.1 अंक यानी 1.95 फीसदी की कमजोरी से 4,982.60 के स्तर पर दर्ज किया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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