पर्यावरण और मानवाधिकार संस्थाओं के निशाने पर आर्सेलर और वेदांत
लंदन, 11 मई (आईएएनएस)। इस्पात बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी आर्सेलर मित्तल और खनन क्षेत्र की कंपनी वेदांत रिसोर्सेज पर पर्यावरण और कारोबारी इलाकों के जनजातीय समुदाय के अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है।
लंदन, 11 मई (आईएएनएस)। इस्पात बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी आर्सेलर मित्तल और खनन क्षेत्र की कंपनी वेदांत रिसोर्सेज पर पर्यावरण और कारोबारी इलाकों के जनजातीय समुदाय के अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है।
उल्लेखनीय है कि आर्सेलर मित्तल भारतीय मूल के ब्रिटिश उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल की स्वामित्व वाली कंपनी है। पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े संगठनों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के मद्देनजर कंपनी ने लग्जमबर्ग में मंगलवार को होने वाली वार्षिक बैठक में पर्यावरण से संबंधित मसलों पर चर्चा करने का निर्णय लिया है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं (आईएफआई) की गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था 'बैंकवाच' का कहना है कि आर्सेलर मित्तल ने अपने संयंत्रों के पर्यावरण और समाज पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों से निपटने में कोताही बरती है।
अपने 40 पृष्ठ के दस्तावेज में संस्था ने कहा है कि पिछले 10 वर्षो के दौरान आर्सेलर मित्तल ने आईएफआई से 50 करोड़ डालर से अधिक का ऋण लिया है। लेकिन दुनिया भर में खरीदे गए सरकारी संयंत्रों में स्वच्छ तकनीक के इस्तेमाल के लिए कंपनी ने पर्याप्त खर्च नहीं किए हैं।
खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी वेदांत रिसोर्सेज भी लंदन के अरबपति अनिल अग्रवाल की है। अग्रवाल भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं। जनजातीय समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाली वैश्विक संस्था 'सरवाइवल इंटरनेशनल' का आरोप है कि उड़ीसा के सुदूर इलाकों में कंपनी की कारोबारी गतिविधियों के कारण स्थानीय जनजातीय समुदास के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है।
उधर दोनों कंपनियों ने इन आरोपों से इंकार किया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।