वेणुगोपाल फिर से एम्स निदेशक: सुप्रीम कोर्ट

By Staff
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P Venugopal
नई दिल्ली, 9 मई: सर्वोच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पी. वेणुगोपाल को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक पद से हटाए जाने की कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही अदालत ने केंद्र को वेणुगोपाल को पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति तरूण चटर्जी और एच. एस. बेदी की खंडपीठ ने वेणुगोपाल को एम्स के निदेशक पद से हटाए जाने को 'बदले की भावना से की गई कार्रवाई और असंवैधानिक' करार दिया।

खंडपीठ ने कहा कि वेणुगोपाल को व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाते हुए 'अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और शोध संस्थान, चंडीगढ़ संशोधन कानून 2007' को लागू किया गया था।

इस कानून के तहत एम्स निदेशक का कार्यकाल पांच वर्ष या फिर पद से अवकाश प्राप्त करने की उम्र सीमा 65 वर्ष कर दी गई थी।

एम्स में चिकित्सकों और छात्रों ने बांटी मिठाइयां:

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक पद पर पी. वेणुगोपाल को बहाल किए जाने के आदेश के बाद एम्स परिसर में चिकित्सकों और छात्रों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है।

एम्स के रेजिडेंट डाक्टर संघ के अध्यक्ष हर्ष कुमार ने कहा, "हम न्यायिक व्यवस्था के आभारी हैं और केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास को बर्खास्त किया जाए।"

उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ध्यान नहीं देकर रामदास लोकप्रिय होने लिए अलग-अलग हथकंडे अपना रहे हैं।" एक अन्य चिकित्सक कौशल मिश्रा ने कहा कि एम्स अदालत के इस निर्णय को उत्सव की तरह मनाएगा।

गौरतलब है कि न्यायाधीश तरूण चटर्जी और एच. एस. बेदी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आज वेणुगोपाल को निदेशक पद से हटाए जाने की कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिया था।

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