कमोडिटी एक्सचेंजों को भारी नुकसान संभव
बाजार समीक्षकों के अनुसार सरकार के इस निर्णय से सिर्फ एनसीडीईएक्स व एनएमसीई में दैनिक तौर पर 300 से 400 करोड़ रुपये तक का कारोबार प्रभावित हो सकता है।
बाजार समीक्षक मान रहे हैं कि चारो जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक से न सिर्फ एक्सचेंजों के टर्न ओवर और वाल्यूम में कमी आएगी बल्कि निवेशकों का विश्वास भी डगमगाएगा।
फारवर्ड मार्केट कमीशन के चेयरमैन बी.सी. खटुआ के अनुसार चना, सोया तेल और आलू के वायदा कारोबार पर रोक से एनसीडीईएक्स के टर्न ओवर में 60 फीसदी तक की कमी आ सकती है जबकि रबर के वायदा कारोबार पर रोक से कमोडिटी एक्सचेंज एनएमसीई के दैनिक टर्न ओवर में तकरीबन 30 फीसदी कमी की आशंका है।
कुछेक बाजार समीक्षक हालांकि मान रहे हैं कि सरकार के इस फैसले से कमाडिटी एक्सचेंजों को 20 फीसदी से ज्यादा का नुकसान नहीं होगा।
बी. सी. खटुआ ने कहा है कि सोयाबीन, चना, रबर और आलू के वायदा कारोबार पर रोक लगाने के बावजूद महंगाई काबू में नहीं की जा सकेगी।
खटुआ ने बताया कि सरकार का यह फैसला व्यावहारिक नहीं बल्कि भावनात्मक है। उनके मुताबिक वायदा कारोबार जिंसों की हाजिर कीमतों में वृद्धि के लिए कभी जिम्मेदार नहीं रहा है इसलिए रोक लगाने से महंगाई पर नियंत्रण की बात बेमानी होगी।
खटुआ ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कमोडटी एक्सचेंजों में कारोबार बुरी तरह प्रभावित होगा। इससे पूर्व सरकार के आदेश पर फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) ने सोयाबीन, चना, रबर और आलू वायदा पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की घोषणा की। सरकार का यह फैसला आज से प्रभाव में आ गया है।
वायदा बाजार आयोग के निदेशक अनुपम मिश्र के अनुसार हमने कमोडिटी एक्सचेंजों को पत्र लिखकर इन चारों कमोडिटी में तत्काल प्रभाव से वायदा कारोबार रोकने को कहा है। उनके अनुसार यह रोक कम से कम चार महीनों तक जारी रहेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।