क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

आखिर वायदा कारोबार आ ही गया महंगाई के निशाने पर

By Staff
Google Oneindia News

नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। प्रस्तावित कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) को लेकर पहले से ही परेशान चल रहे कमोडिटी एक्सचेंजों को वायदा कारोबार की नियामक संस्था फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) द्वारा आलू, सोया तेल, रबर और चना के वायदा पर तत्काल प्रभाव से रोक की घोषणा से और निराशा हुई है।

नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। प्रस्तावित कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) को लेकर पहले से ही परेशान चल रहे कमोडिटी एक्सचेंजों को वायदा कारोबार की नियामक संस्था फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) द्वारा आलू, सोया तेल, रबर और चना के वायदा पर तत्काल प्रभाव से रोक की घोषणा से और निराशा हुई है।

सरकार के निर्देश पर मार्च 2007 में भी फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) ने चावल, गेहूं और तूअर के वायदा कारोबार पर रोक लगाने की घोषणा की थी।

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार वित्त बजट 2008-09 में प्रस्तावित कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) के संभावित नकारात्मक प्रभावों से जूझ रहे विभिन्न कमोडिटी एक्सचेंजों को सरकार के इस फैसले से निराशा हाथ लगी है। वित्त विधेयक 2008-09 को संसद से मंजूरी मिल चुकी है लेकिन राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद सीटीटी के संबंध में अधिसूचना जारी होना बाकी है।

सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि महंगाई को काबू में करने के लिए इन उपायों की घोषणा की गई है। कारोबारी हालांकि मानकर चल रहे हैं कि सरकार चार महीनों के बाद फैसले को वापस ले लेगी।

इससे पूर्व कें द्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) से गत शुक्रवार को जारी महंगाई आंकड़ों के अनुसार 19 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान देश में महंगाई दर बढ़कर पिछले 42 महीनों के उच्चतम स्तर यानी 7.57 फीसदी के स्तर तक पहुंच गई। गत 12 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान यह 7.33 फीसदी थी।

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार प्रस्तावित सीटीटी को लेकर कमोडिटी एक्सचेंजों में वाल्यूम लगातार घट रहा है। देश के दो बड़े एक्सचेंज एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स में इन चार जिंसों का कुल दैनिक टर्न ओवर 1,200 करोड़ रुपये का है। मार्च 2008 के दौरान देश के 23 कमोडिटी एक्सचेंजों का कुल टर्न ओवर 922 अरब डालर था।

वायदा कारोबार और हाजिर कीमतों में संबंध के अध्ययन के लिए पिछले वर्ष गठित अभिजीत सेन कमेटी ने हालांकि गत 29 अप्रैल को सरकार को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस बात के कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं जिसके आधार पर इस बात की पुष्टि की जा सके कि कृषि जिंसों का वायदा कारोबार हाजिर कीमतों में वृद्धि के लिए उत्तरदायी है।

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के इस कदम से महंगाई पर नियंत्रण तो दूर उल्टे किसानों और आयातकों के हितों को नुकसान होगा। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि बंपर उत्पादन की वजह से आलू की कीमतो में लगातार गिरावट जारी है ऐसे में इसके वायदा कारोबार पर रोक लगाने का कोई औचित्य नहीं है।

सोया तेल के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध को भी समीक्षक बेतुका करार दे रहे हैं। इनके मुताबिक देश की कुल खाद्य तेज जरूरत का तकरीबन 50 फीसदी विदेशों से आयात होता है ऐसे में सरकार का कदम अप्रभावी होगा।

रबर से जुड़े कारोबारी भी सरकार के कदम को आधारहीन मानकर चले रहे हैं। इनके मुताबिक रबर की कीमत मुख्यतया कच्चे तेल की कीमतों से संचालित होता है इसलिए इसके वायदा कारोबार पर रोक से कीमतों को कम करने में कोई मदद नहीं मिलेगी। न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नाइमेक्स) में कच्चे तेल की कीमत 123 डालर प्रति बैरल के ऊपर है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X