रांची में कुत्ते का खौफ, प्रतिदिन 200 लोग हो रहे शिकार
रांची, 9 मई (आईएएनएस)। झारखंड की राजधानी रांची के एक बड़े अस्पताल में रैबीज प्रतिरोधी टीके की कमी देखने को मिल रही है। ऐसा तब हो रहा है जबकि शहर में प्रतिदिन लगभग 200 कुत्तों के काटने की घटनाएं प्रतिदिन देखने को मिल रही हैं।
रांची, 9 मई (आईएएनएस)। झारखंड की राजधानी रांची के एक बड़े अस्पताल में रैबीज प्रतिरोधी टीके की कमी देखने को मिल रही है। ऐसा तब हो रहा है जबकि शहर में प्रतिदिन लगभग 200 कुत्तों के काटने की घटनाएं प्रतिदिन देखने को मिल रही हैं।
रांची में रैबीज प्रतिरोधी सुई की कमी स्पष्ट नजर आ रही थी जबकि आवारा कुत्तों की संख्या यहां 25,000 से ज्यादा है।
दो महीने पहले गरीब परिवार की मालती देवी को एक कुत्ते ने काटा। वह रांची सदर अस्पताल पहुंची। उससे कहा गया कि रैबीज प्रतिरोधी टीका मौजूद नहीं है। दोबारा अनुरोध करने पर उससे कहा गया कि स्थानीय विधायक की सिफारिश लेकर आए।
सन 2007 में रांची सदर अस्पताल ने कुत्तों के काटने के कुल 5,269 मामले दर्ज किए थे। अस्पताल में प्रतिदिन ऐसे कुल 40 मामले दर्ज होते हैं। इस बाबत सरकारी अस्पताल को रैबीज प्रतिरोधी टीका खरीदने के लिए प्रतिवर्ष केवल दस लाख रुपये दिए जाते हैं।
गौरतलब है कि एक कुत्ते के काटने पर व्यक्ति को पांच रैबीज प्रतिरोधी टीके खरीदने पड़ते हैं। इस तरह पांचों टीके के लिए कुल 1,105 रुपये खर्च होते हैं।
पिछले साल राज्य में कुल 14,346 लोगों को रैबीज प्रतिरोधी टीके लगाए गए थे। इस साल अप्रैल के अंत तक कुल 2,618 लोगों को टीके लगा दिए गए हैं।
रांची सदर अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा, "प्रतिवर्ष जितने मामले दर्ज किए जाते हैं उसके मुकाबले फंड बहुत कम दिया जाता है। यह मांग हम तभी पूरी कर पाएंगे जब यह फंड दस गुना बढ़ा दिया जाएगा।"
रांची सदर अस्पताल के चिकित्सक श्याम सुंदर सिंह ने कहा, "रांची नगरपालिका और पशुपालन विभाग को आवारा कुत्तों को पकड़कर शहर के बाहर करने के लिए हमने कई बार लिखा है।"
पशु चिकित्सकों के अनुसार कुत्तों के काटने के मामले गर्मी और मानसून में बढ़ जाते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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