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सलीम के लिए सांपों की हिफाजत ही इबादत है

By Staff
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भोपाल, 9 मई (आईएएनएस)। सांपों का जिक्र आते ही शरीर में सिहरन दौड़ जाती है और अगर सांप सामने आ जाए तो सांस ऊपर की ऊपर तथा नीचे की नीचे रह जाती हैं। मगर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सांपों का एक ऐसा रखवाला है जो उन्हें न केवल पकड़ता हैं बल्कि उनके उपचार के बाद जंगल में छोड़ देता हैं।

नाम है सलीम खान, उमर है 45 साल और पेशे ने उन्हें बना दिया हैं सांपों का हमदर्द। सलीम भाई के नाम से ख्याति अर्जित कर चुके इस शख्स के लिए इबादत बन गई हैं सांपों की हिफाजत। सलीम भाई के बड़े पिताजी अम्मू पहलवान सांप के काटे हुए लोगों का इलाज करते थे। धीरे-धीरे सलीम की दिलचस्पी भी इस दिशा में बढ़ी। जब वे दस साल के थे तो स्कूल की बजाए नाले पर पहुंचकर मछलियां पकड़ने लगते थे, कभी कभार उनके हाथ सांप भी लग जाता था।

सलीम बताते हैं कि सांप पकडने के कारण उन्हें कई बार मार तक खाना पड़ी , मगर उनका सांपों के प्रति लगाव बढ़ता ही गया। पिछले 35 वषरे से वे सांप पकड़ने का काम नि:शुल्क कर रहे हैं। अब तक वे 70 हजार से अधिक सांपों को पकड़ने का दावा करते हैं।

सलीम ने सांपों के लिए अपने आवास में एक केन्द्र भी खोल रखा हैं। पकड़ने के दौरान जब सांप को चोट लग जाती हैं तो वे खुद उनका उपचार भी करते हैं। सर्प केन्द्र में सांपों को रखने के लिए विशेष तरह के डिब्बे बनाए गए हैं। इन डिब्बों में रेत भरी होती हैं। उनके लिए पानी का इंतजाम रहता है और खाने के लिए चूजे व मेढ़क छोड़े जाते हैं।

भोपाल में मुख्य तौर पर चार तरह के जहरीले सांप हैं, जिनमें कोबरा और करैत प्रमुख हैं। सलीम बताते हैं कि जब जहरीला सांप काटता है तो उसके दांतों के सिर्फ दो निशान बनते हैं मगर सामान्य सांप के काटने पर आठ और दस दांतों के निशान नजर आते हैं। उनका मानना हैं कि लोगों की मौत सांप के जहर से कम घबराहट से ज्यादा हो जाती है।

सलीम सांपों को पकड़ते हैं और उन्हें पचमढ़ी के जंगल में जाकर छोड़ते हैं। सलीम मध्य प्रदेश में इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें सरकारी नौकरी मिली हुई हैं। उनकी नगर निगम भोपाल में चपरासी के पद पर तैनाती हैं। उन्हें सांपों को पकडने के एवज में महज पांच हजार रुपए माह पगार मिलती हैं।

सलीम कहते हैं, "सांपों को लेकर लोगों में भ्रान्तियां ज्यादा हैं। सांप कभी खुद हमला नहीं करता।" सांपों को पकड1ने के दौरान कोबरा ने सलीम को चार बार डंसा हैं मगर वे बच गए। इसके पीछे वे सांप और आम आदमी से मिलने वाली दुआ को मुख्य वजह मानते हैं।

सलीम सांपों के प्रति लोगों में जागृति लाने के लिए विशेष अभियान चलाए हुए हैं। वे स्कूलों में जाकर बच्चों को सांपों के बारे में बताते हैं और हिदायत देते हैं कि वे सांपों को न छेडें। सलीम कहते हैं कि सांप तो वैसे ही आदमी से डरता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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