रामसेतु को बचाने के लिए केंद्र सरकार वैकल्पिक उपाय ढ़ूंढे : सुप्रीम कोटे
नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह राम सेतु को बचाए जाने की संभावनाएं तलाशे और साथ ही उन वैकल्पिक उपायों पर भी विचार करे जिससे भारतीय उपमहाद्वीप के इर्दगिर्द जहाजों की आवाजाही के लिए कम से कम दूरी तय करने वाला रास्ता तैयार हो सके।
प्रधान न्यायाधीश के. जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इसके साथ ही सरकार से यह भी कहा कि राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए या नहीं, इसके लिए वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से अध्ययन करवा कर उसका परीक्षण कराए।
न्यायमूर्ति आर. वी. रवीन्द्रन और न्यायमूर्ति जे. एम. पांचाल इस खंडपीठ के अन्य सदस्य हैं।
खंडपीठ ने कहा, "हम इस मामले के गुण-दोष में नहीं जाएंगे लेकिन आप वैकल्पिक उपायों की संभावनाओं को जरूर तलाश सकते हैं। ऐसा करके सरकार विवाद से बच सकती है।"
उल्लेखनीय है कि कई संगठनों ने सेतु समुद्रम परियोजना की मुखालफत की है। इन संगठनों के मुताबिक राम सेतु आस्था से जुड़ा मुद्दा है।
सेतु समुद्रम परियोजना निगम के वकील फली. एस. नरीमन इस बात पर सहमत हो गए हैं कि वह अदालत की सिफारिशों से सरकार को अवगत करा देंगे।
खंडपीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2007 में दिए गए दिशा-निर्देशों का हवाला देते केंद्र सरकार से यह भी पूछा है कि उसने राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने के संबंध में कोई अध्ययन कराया भी है या नहीं।
ज्ञात हो कि मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने के संदर्भ में एएसआई या किसी अन्य संस्था द्वारा अध्ययन करने को कहा था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।