भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक कर रहा है आर्सेनिक प्रतिरोधी चावल का विकास
वाशिंगटन, 8 मई (आईएएनएस)। भारतीय मूल के एक अमेरिकी वैज्ञानिक चावल की एक ऐसी जीन संवर्धित किस्म विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है जिसमें आर्सेनिक प्रतिरोधी क्षमता मौजूद है।
यह शोध देश के पूर्वी इलाकों और बांग्लादेश के उन नागरिकों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो वर्षो से आर्सेनिक प्रदूषित पानी पीने और चावल खाने के लिए मजबूर हैं।
जीन संवर्धित चावल का पौधा विकसित कर रहे मैसाच्युसैट्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ओमप्रकाश ने कहा, "पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में अब तक 3 लाख लोग आर्सेनिक प्रभावित पानी और चावल के कारण कैंसर के शिकार हो चुके हैं। एक खास जीन को सक्रिय करके हम चावल को आर्सेनिक समेत कई खतरनाक धातुओं के प्रति प्रतिरोधिक क्षमता से युक्त कर सकते हैं।"
उन्होंने बताया कि इस पद्धति में चावल आर्सेनिक को अपने ऊतकों में अवशोषित कर लेता है और चावल का उत्पादन सुरक्षित और ज्यादा मात्रा में होता है।
प्रकाश ने कहा कि यह चावल अधिक उत्पादन के कारण विश्व में खाद्यान्न संकट को दूर करने में भी सहायक हो सकता है। गौरतलब है कि दुनिया की 80 फीसदी आबादी भोजन के रूप मे चावल पर ही निर्भर है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।