महंगाई की मार से फिर पीछे हटी इस्पात कंपनियां (लीड) (संशोधित)
नई दिल्ली, 7 मई (आईएएनएस)। महंगाई में रिकार्ड तेजी की मार से आखिरकार इस्पात कंपनियों को फिर दो -चार होना ही पड़ा। कीमतों में कटौती को लेकर सरकार के बढ़ते दबाव के सामने विभिन्न इस्पात कंपनियों झुक तो गई है लेकिन निर्यात शुल्क में बढ़ोतरी की मांग पर अभी भी कायम है।
सरकार ने इस्पात व इस्पातजन्य उत्पादों पर पिछले सप्ताह 10 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने की घोषणा की थी। सरकार की तरफ से हालांकि इस संबंध में अभी तक अधिसूचना जारी नहीं की गई है। प्रधानमंत्री से आज मुलाकात के दौरान इस्पात कंपनियों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा भी निर्यात शुल्क को वापस लेने के लिए जोर दिया गया।
इस्पात उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि सरकार कीमतों में कमी के एवज में इस्पात उत्पादों पर से निर्यात शुल्क वापस ले।
प्रतिनिधिमंडल में स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू, एस्सार स्टील व इस्पात इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के प्रतिनिधि शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान देश में बढ़ रही महंगाई के प्रति सरकार की चिंता से सहमति जताई।
प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से इस्पात पर जारी उत्पाद शुल्क में कटौती के साथ -साथ इस्पात निर्मित कच्चे माल व अन्य उत्पादों पर लगने वाले माल भाड़े को भी मौजूदा स्तर पर बरकरार रखने की मांग की । लौह अयस्कों के निर्यात पर 15 से 20 फीसदी का फ्री आन बोर्ड एड वेलोरम कर लगाने के संबंध में भी प्रस्ताव दिया गया ताकि चीन की तर्ज पर देश में खनिज संपदा के निर्बाध दोहन पर नियंत्रण स्थापित हो।
रूंगटा के अनुसार उत्पाद शुल्क में कटौती से आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।
प्रधानमंत्री ने कीमतों में कमी करने के लिए इस्पात उद्योग की सराहना की और आश्वासन दिया कि सरकार उनके प्रस्तावों पर विचार करेगी।
इससे पूर्व इस्पात मंत्रालय में सचिव राघव शरण पाण्डेय के साथ हुई बैठक के बाद विभिन्न इस्पात कंपनियों ने आज इस्पात व इस्पातजन्य उत्पादों की कीमतों में दूसरी बार कमी की घोषणा की। इस बैठक में टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक बी. मुत्तूरमण, टाटा स्टील के चेयरमैन एस.के. रूंगटा, जेएसडब्ल्यू के सज्जन जिंदल व एस्सार स्टील के चेयरमैन शशि रूइया शरीक हुए।
बैठक के बाद स्टील अथारिटी आफ इंडिया सेल के चेयरमैन एस.के. रूंगटा के अनुसार कंपनियों ने विभिन्न इस्पात व इस्पातजन्य उत्पादों पर 2,000 से 4,000 रुपये प्रति टन कमी की घोषणा की है।
रूंगटा ने बताया कि इस्पात के चादरों (चपटे उत्पाद) पर कीमतों में 4,000 रुपये प्रति टन जबकि छड़ों (लंबे उत्पाद) पर 2,000 रुपये प्रति टन की कमी की गई है। कीमतों में कमी तीन महीनों के लिए प्रभावी होगी।
इससे पहले भी अप्रैल में इस्पात कंपनियों के द्वारा कीमतों में 2,000 रुपये प्रति टन तक की कटौती की गई थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।