आगामी जून से लागू होगा सीटीटी
सूत्रों के अनुसार वित्त विधेयक 2008-09 के कानून बन जाने की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद ही सीटीटी के लागू होने की संभावना है। इससे पूर्व बीते मंगलवार को संसद में वित्त विधेयक पर बहस की समाप्ति हुई थी।
सूत्र बताते हैं विधेयक पर राष्ट्रपति द्वारा भी हस्ताक्षर किया जा चुका है। इससे पूर्व बाजार में चर्चा थी कि सीटीटी अप्रैल से ही लागू हाने जा रहा है। लेकिन सूत्र अब बता रहे हैं कि पुराने सौदों पर सीटीटी नहीं लगेगा और यह वित्त विधेयक के कानून बन जाने के बाद ही अमल में आएगा। वित्त विधेयक 2008-09 में कमोडिटी के वायदा सौदों पर 0.017 फीसदी सीटीटी की व्यवस्था किए जाने का प्रस्ताव है।
प्रस्तावित सीटीटी पर पुनर्विचार की संभावना भी पिछले सप्ताह केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के इस बयान के बाद समाप्त हो गई, जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार की निकट भविष्य में इस पर पुनर्विचार की कोई योजना नहीं है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के अतिरिक्त कमोडिटी वायदा बाजार की नियामक संस्था फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) भी इसके पक्ष में नहीं है। इतना ही नहीं इस मामले में प्रधानमंत्री के आर्थिक मामलों की सलाहकार समिति के अध्यक्ष व पूर्व गर्वनर सी. रंगराजन ने भी केंद्रीय वित्त मंत्रालय से सिफारिश की थी कि सरकार सीटीटी को या तो वापस ले ले या इसे कम कर दे। लेकिन वित्त मंत्री ने समिति की सिफारिश को नहीं माना।
बाजार समीक्षकों का मानना है कि प्रस्ताव के व्यवहार में आ जाने के बाद कमोडिटी के वायदा कारोबार में 15 से 20 फीसदी तक की कमी आ सकती है। इतना ही नहीं कमोडिटी में वायदा कारोबार करना 800 फीसदी महंगा हो जाएगा। बाजार समीक्षक बताते हैं कि सीटीटी से डिब्बाबंद यानी अवैध कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।
एक और बात जो इस प्रस्ताव के विरोध में जाती है कि अब कमोडिटी एक्सचेंजों में कारोबार करने वाले किसानों को भी सीटीटी चुकाना होगा। इससे पहले किसानों को इस तरह के कर को चुकाना नहीं पड़ता था।
कमेडिटी एसचेंजों से जुड़े जानकारों का मानना है कि प्रस्तावित टैक्स के चलते देश में कमोडिटी का वायदा कारोबार अन्य देशों की तुलना में महंगा हो जाएगा और कारोबारी विदेशी एक्सचेंजों की ओर रुख करेंगे। फारवर्ड मार्केट कमीशन के चेयरमैन खटुआ भी कमोबेश इसी तरह की बात कर चुके हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।