महिलाएं भी मस्जिद में पढ़ सकती हैं नमाज
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डाक कल्बे सादिक का कहना है कि औरतों के मस्जिद में नमाज पढ़ने में हर्ज क्या है। सऊदी अरब में तो महिलाएं मस्जिद में नमाज पढ़ती हैं। भारत में भी इसे शुरू किया जाना चाहिए।
उधर बोर्ड के सदस्य और ईदगाह के नायब इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली का कहना है कि नमाज पढ़ने का मकसद ज्यादा से ज्यादा शवाब हासिल करना होता है। मर्दो को मस्जिद में और औरतों को घर में नमाज पढ़ने से शवाब हासिल होता है।
उनका कहना है कि वक्त बेवक्त मस्जिद पहुंच जाने पर औरते मर्दो के पीछे नमाज पढ़ सकती हैं लेकिन इस्लाम औरतों को पांचों वक्त की नमाज मस्जिद में पढ़ने की इजाजत नहीं देता।
उधर मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर का कहना है कि ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है, कानपुर में रेल बाजार इलाके में ऐसी मस्जिद है जहां औरतें पांचों वक्त की नमाज अदा करती हैं। वह कहती हैं कि वह 1999 से मस्जिद में नमाज पढ़ रही हैं और चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए आगे आएं।
हजरतगंज में बुटीक चलाने वाली रिजवाना हुसैन का कहना है कि जब खुद पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने नहीं मना किया तो आज कोई और औरतों को मस्जिद में नमाज पढ़ने से कैसे रोक सकता है। बस इस बारे में दी गयी हिदायात का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि घर में व्यस्तता के कारण औरतें मस्जिद में नमाज पढ़ने नहीं जा पातीं हैं लेकिन अगर ऐसा हो पाए तो उन्हें तो खुशी होगी।
शाइस्ता अंबर का कहना है कि अगर कोई साहबे दीन और साहबे हैसियत मिलता है तो वह ऐसी मस्जिद बनवाने की कोशिश करेंगी जहां औरतें ही औरतों की इमामत करें और दीनी एवं तालीमी शिक्षा ग्रहण करें।
इसके विपरीत फिरंगीमहली का कहना है कि जरूरत महिलाओं के लिए अलग मस्जिद बनाने की नहीं बल्कि स्कूल-कालेज बनाने की है।
इंडो-एशियन
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