जीवन शैली बनाती है दिल का मरीज
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो भारत में हृदय रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। पूर्वानुमानों पर भरोसा करें तो 2020 तक भारत में हृदय रोगियों की संख्या 60 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
हृदयाघात पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिस्सा लेने आए एस्कॉर्ट हार्ट हास्पिटल दिल्ली के डॉ़ सुमन भंडारी ने से चर्चा के दौरान हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या को चिंताजनक बताया। उनका मानना है कि लोगों ने फल और सब्जियों से दूरियां बढ़ा ली हैं साथ ही वे अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो चले हैं, जिसका नतीजा दिल की बीमारियां हैं।
भारत में दिल की बीमारी बढ़ने की मुख्य वजह डॉ भंडारी की नजर में लापरवाही है। खान पान के प्रति लापरवाही तो बढ़ी ही है साथ ही वे बीमारी को जल्दी स्वीकारने को तैयार नहीं होते और अपना नियमित चिकित्सकीय परीक्षण कराने में भी लापरवाही बरतते हैं। पहले हृदय रोग अमीरों की बीमारी माना जाता था मगर अब वह गरीबों के दरवाजे तक पहुंच गई है।
डॉ भंडारी के मुताबिक भारत में हृदय रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा उन लोगों की है जिनकी उम्र 50 के आसपास है। हमारे यहां दिल के रोगियों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या बराबर है। पश्चिम में महिलाओं से ज्यादा पुरुष इस बीमारी से ग्रसित हैं जबकि पाकिस्तान में हृदय रोगी महिलाए ज्यादा हैं।
डॉ भंडारी का सुझाव है कि अगर हृदय रोग से बचना है तो वजन नियंत्रित रखिए, मोटापा न बढ़ने दीजिए और अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने के साथ व्यायाम कीजिए।
हृदय रोग विषेषज्ञ डॉ़ भंडारी दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या पर ब्रेक लगाने के लिए लोगों में जागरूकता लाना जरूरी मानते हैं। वे कहते हैं कि अगर लोग दिल से जुड़ी बीमारियों के बारे में जानने लगें और डॉक्टर तक जाने में हिचक न दिखाएं तो वक्त रहते न केवल इलाज संभव है बल्कि बीमारी को बढ़ने से भी रोका जा सकता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस