वाराणसी में गंगा की सफाई के लिए अब आगे आई स्वयंसेवी संस्था
वाराणसी, 3 मई (आईएएनएस)। वाराणसी में गंगा सफाई का संकल्प लेने वाले एनजीओ की श्रेणी में एक और नाम जुड़ने जा रहा है वाराणसी विकास मंच नामक एक स्वयं सेवी संस्था ने गंगा के किनारे लगे सीवेज पम्पिंग स्टेशन के लगातार चलते रहने के लिए पांच हजार लीटर प्रति महीने डीजल की व्यवस्था करने का संकल्प लिया है। वाराणसी विकास मंच के ऋषभ चंद जैन ने बताया कि वाराणसी में कुल छ: सीवेज पम्पिंग स्टेशन हैं जिससे 25 करोड़ लीटर प्रतिदिन पानी को ट्रीटमेंट करने की व्यवस्था की गई है लेकिन अक्सर बिजली की कटौती की वजह से अधिकांश प्लांट बंद रहते हैं जिससे 14.8 करोड़ लीटर सीवर का पानी बिना ट्रीटमेंट के ही गंगा में बहा दिया जाता है।
गौरतलब है कि वाराणसी में मुख्य रूप से छ: घाटों अस्सी, हरिश्चंद, मानसरोवर, राजेन्द्र प्रसाद, जलासेन और त्रिलोचन घाट पर सीवेज पम्पिंग स्टेशन लगाए गए हैं। शहर से निकालने वाले सीवर जो पूर्व में गंगा में मिल जाते थे, अब उन्हें पम्प करके वापस शहर के ट्रंक सीवर में डाला जाता है और यहां से ट्रंक सीवर कोनिया पम्पिंग स्टेशन पहुंचता है जिसे पम्पिंग करके दीनापुर स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर पहुंचाया जाता है।
छ: पम्पिंग स्टेशनों के अलावा शहर में कुल चार ट्रीटमेंट प्लांट भी हैं जो दीनापुर, भगवानपुर, बी एच यू और डी एल डब्ल्यू में स्थित है। जिनकी ट्रीटमेंट करने की क्षमता क्रमश: 80 एमएलडी, 8 एमएलडी, 2 एमएलडी और 12 एमएलडी है जबकि शहर से निकलने वाले कुल सीवर के पानी की मात्रा 250 एमएलडी प्रतिदिन है। इस तरह शेष 148 एमएलडी सीवर का गंदा पानी बिना शोधित गंगा और बरुना नदी में प्रवाहित होने दिया जाता है। ट्रीटमेंट प्लांट और पम्पिंग स्टेशन के लिए लगाये गए कुल जनरेटरों की क्षमता 1680 केवीए की है जिनकी हर महीने लगभग 20 हजार लीटर डीजल की जरुरत पड़ती है लेकिन प्रशासन मात्र 8 हजार से 10 हजार लीटर डीजल की ही व्यवस्था कर पाता है।
जैन ने बताया कि हालांकि इन संयंत्रों को चलाने की जिम्मेदारी वाराणसी नगर महापालिका की है लेकिन न तो इनके पास तकनीकी स्टाफ है और न ही पर्याप्त बजट इसलिए अब इसे जल निगम विभाग चलाता है दूसरी बात यह की डीजल का खर्च काफी ज्यादा होने के कारण राज्य सरकार इसमें कमी कर देती है। बिजली की अनुपस्थिति में जनरेटरों को पूरे समय नहीं चलाया जा रहा है। इसलिए वाराणसी विकास मंच राजेंद्र प्रसाद घाट के पम्पिंग स्टेशन को पूरे समय चलाने के लिए प्रति महीने 5000 लीटर डीजल की खुद व्यवस्था करने जा रहा है क्योंकि यह वाराणसी का मुख्य घाट है।
वाराणसी विकास मंच ने वाराणसी प्रशासन से इस बाबत राजेंद्र प्रसाद घाट पर एक टैंक रखने और देख रेख करने वाले एक कर्मचारी के बैठने की व्यवस्था करने की अनुमति मांगी है जिसे जिला प्रशासन ने स्वीकार भी कर लिया है। जल निगम के अधिशासी अभियंता वासुदेव सिंह बताया कि कम बजट की वजह से पम्पिंग स्टेशन पूरे समय नहीं चल पाते थे जो अब चलाए जा सकेंगे। सिंह ने कहा कि इसी तरह अन्य पम्पिंग स्टेशनों की भी व्यवस्था हो जाती तो न सिर्फ प्रशासन का सहयोग हो जाता बल्कि गंगा में गंदा पानी जाने से भी रुक जाता।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।