घटते भू-जल स्तर से यूपी मे पानी संकट की आशंका
लखनऊ, 3 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में पानी नीचे जा रहा है और संकट ऊपर आ रहा है। भूगर्भ जल विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर सिंचाई के लिए बोरिंग और ट्यूबवेल का इस्तेमाल बंद न हुआ तो पीने के पानी का संकट आते देर नहीं लगेगी।
लखनऊ, 3 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में पानी नीचे जा रहा है और संकट ऊपर आ रहा है। भूगर्भ जल विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर सिंचाई के लिए बोरिंग और ट्यूबवेल का इस्तेमाल बंद न हुआ तो पीने के पानी का संकट आते देर नहीं लगेगी।
प्रदेश के भूगर्भ जल विभाग के निदेशक एम़ एम़ अंसारी ने आईएएनएस से एक विशेष मुलाकात में लोगों से अपील की कि वे मकान चाहे जितने शानदार बनवाएं लेकिन इसके लॉन को कच्चा रखें ताकि वाटर रिचार्जिंग हो सके। उन्होंने कहा कि जर्मनी में यही किया जाता है और इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पानी का स्तर औसतन एक सेमी से लेकर 70 सेमी प्रतिवर्ष नीचे जा रहा है। राजधानी लखनऊ में तो भू जल स्तर में 50 से 150 सेमी प्रतिवर्ष की दर से गिरावट हो रही है। प्रदेश के 36 जिलों में स्थिति चिंताजनक है जिनमें बुंदेलखंड के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर जिले शामिल हैं।
इसके लिए अंधाधुंध विकास को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम ऐसी व्यस्था करें कि पानी निकालने वाले पर ही उसे रिचार्ज करने जिम्मेदारी हो। यह भी आवश्यक है कि भूगर्भ से संचित जल ही निकाला जाए, लेकिन सामान्यतया ऊपर के स्तर से जल निकाला जाता है जिससे समस्या और बढ़ रही है।
एम़ एम़ अंसारी ने कहा कि चार साल से पर्याप्त बारिश नहीं होने से हालात और भी खराब हुए हैं। उन्होंने कहा कि अब हमें ताजा हालात को ध्यान में रखकर ऐसे पेड़ लगाने चाहिए जिनमें पानी की जरूरत कम से कम पड़े। यही दृष्टिकोण खेती के मामले में भी अपनाया जाना चाहिए। साथ ही पाट दिए गए तालाबों और पोखरों का भी पुराना स्वरूप बहाल करना होगा।
भूगर्भ जल विभाग के मुखिया ने कहा कि हमें देखना होगा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जल संकट से कैसे निपटा गया है। न्यूयार्क ने इस संकट को कैसे हल किया। खाड़ी के देषों ने इसका सफलतापूर्वक कैसे मुकाबला किया। यहां तक कि राजस्थान ने भी इस दिशा में खासी कामयाबी हासिल की है तो उत्तर प्रदेश इससे कैसे नहीं निपट सकता। उन्होंने इसे बात पर संतोश व्यक्त किया कि मौजूदा सरकार ने इस दिशा में खास ध्यान दिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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