अंड्डे बेचकर एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना
तुसी ने कहा, "पर्वतारोहन की हमेशा से मैं दीवानी रही हूं और माउंट एवरेस्ट पर जाना ही मेरा अंतिम सपना है लेकिन मेरे सपने को पूरा होने में गरीबी बड़ी बाधा है। यात्रा में होने वाले खर्च के लिए मैं बैंक से कर्ज भी नहीं ले सकती हूं, इसलिए मैंने अंड्डे बेच कर रुपये जमा करने का फैसला किया है।"
उसने कहा, "परिवार के सदस्य लगातार मेरा उत्साह बढ़ा रहे हैं। वे लोग यह समझते हैं कि मेरा सपना उनके बस का नहीं है लेकिन वे लोग कभी भी मेरे काम में दखल नहीं देते और आर्थिक परेशानी आने के बावजूद मुझसे रुपये नहीं मांगते हैं।"
तुसी के भाई की सब्जी की दुकान है और ठीक उसके बगल एक अलग दुकान पर वह अंड्डे बेचती है। उसने बताया कि मैं पिछले छह वर्षो में 4 लाख रुपये जामा कर चुकी हूं और वर्ष 2010 तक सात लाख पूरे हो जाएंगे। इसके बाद में एवरेस्ट पर चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दुंगी।
तुसी जानती थी कि उसका सपना आसानी से पूरा होने वाला नहीं है। अत: रुपये जमा करने के लिए वह 19 वर्ष की उम्र से ही अंड्डे बेच रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस