सशस्त्र सेनाओं में कम हो रहे हैं एड्स के मामले
नई दिल्ली, 1 मई (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने दावा किया है कि सशस्त्र सेनाओं में एड्स पीड़ित सैनिकों की संख्या में लगातर कमी हो रही है। उसका कहना है कि वर्ष 2004 में यह संख्या 144 थी जो अब 35 तक पहुंच गई है।
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने बताया कि 2004 में सशस्त्र सीमा बलों में 144 सैनिक एड्स से पीड़ित थे। थल सेना में एड्स रोगी सैनिकों की संख्या 132, नौसेना में 8 और वायुसेना में 4 थी।
वर्ष 2005 में इसमें कमी आई और सशस्त्र सीमा बलों में एड्स पीड़ितों की संख्या 76 रह गई। इस वर्ष थल सेना में 67, नौसेना में 6 और वायुसेना में 3 एड्स पीड़ित सैनिकों का मामला सामने आया।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006 में एड्स पीड़ित सैनिकों के मामले में और भी कमी आई। इस वर्ष थल सेना में एड्स पीड़ित सैनिकों की संख्या मात्र 30 रह गई जबकि नौसेना में दो और वायुसेना में तीन।
उल्लेखनीय है कि 1991 के बाद सशस्त्र सेनाओं में एड्स पीड़ित सैनिकों में की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होने लगी थी। मामले की गंभीरता को समझ तात्कालीन रक्षा मंत्री ने सैनिकों में जागरूकता अभियान बढ़ाने के लिए कई गैर सरकारी संगठनों की भी मदद ली।
इसके बाद सशस्त्र सेनाओं के चुनिंदा सैनिक अस्पतालों में 10 इम्यूनो डिफिसिएंसी केंद्रों की स्थापना के प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई। ऐसे केंद्रों में अब चिकित्सक, त्वचा विशेषज्ञ, रोग विज्ञानी और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ की देखरेख में सशस्त्र सेनाओं में एचआईवी से ग्रसित सभी सैनिकों की जांच, इलाज और देखभाल की व्यवस्था है।
केंद्र के इन्हीं प्रयासों की बदौलत सशस्त्र सेनाओं में एड्स पीड़ित सैनिकों की संख्या में अब कमी आने लगी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।