कश्मीर घाटी के पंडित करेंगे चुनावों का 'वैधानिक' बहिष्कार
श्रीनगर, 1 मई (आईएएनएस)। कश्मीर घाटी के आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बन जाने के बाद भी घाटी छोड़ कर न जाने वाले कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने कहा है कि वह अक्टूबर में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों का 'वैधानिक' बहिष्कार करेगा।
श्रीनगर, 1 मई (आईएएनएस)। कश्मीर घाटी के आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बन जाने के बाद भी घाटी छोड़ कर न जाने वाले कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने कहा है कि वह अक्टूबर में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों का 'वैधानिक' बहिष्कार करेगा।
संगठन द्वारा यह बहिष्कार, घाटी में रह रहे कश्मीरी हिंदुओं को सरकार की ओर से उचित सहायता न मिलने के विरोध में किया जा रहा है।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति नामक इस संस्था के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने आईएएनएस से कहा, "घाटी में रह रहे हिंदुओं की दशा शोचनीय है। हम उनकी ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह कदम उठा रहे हैं। "
सन 90 के दशक में घाटी से हिंदुओं के भारी संख्या में पलायन कर जाने के बाद भी वहां लगभग 750 परिवारों के 4000 हिंदू सदस्य रहते हैं।
टिक्कू ने कहा, "सरकार ने घाटी छोड़ कर जाने वाले लोगों के लिए तो ढेरों व्यवस्थाएं कीं लेकिन जिन लोगों ने यहीं रहने का निर्णय लिया उनकी अनदेखी कर दी गई।"
अपने इस बहिष्कार को वैधानिक ठहराते हुए टिक्कू ने कहा कि संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने मत न देने के अधिकार का प्रयोग कर सकता है।
उन्होंने कहा, "कोई भी व्यक्ति मतदान केंद्र पर जाकर, अपनी पहचान साबित कर, अपनी अंगुली पर स्याही लगवाकर वहां मौजूद मतदान अधिकारी से कह सकता है कि मैं मतदान करना नहीं चाहता।"
टिक्कू ने कहा कि घाटी में रुकने के हमारे निर्णय की हमेशा तारीफ की जाती है लेकिन जब बात सहायता और पुनर्वास की आती है तो कोई हमारी मदद के लिए आगे नहीं आता।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह राज्य की अपनी यात्रा के दौरान कश्मीर वापस लौटने के इच्छुक हर कश्मीरी हिंदू के लिए 7 लाख 50 हजार रुपये के पुनर्वास पैकेज की घोषणा की थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।