पूर्वोत्तर के आतंकवादी तस्करी के पैसे से खरीद रहे हैं हथियार
गुवाहाटी, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। म्यांमार की सीमा से लगे पूर्वोत्तर के राज्यों में मादक पदार्थो की तस्करी उद्योग का रूप ले चुका है जिसका इस्तेमाल आतंकवादी संगठन हथियारों की खरीद के लिए कर रहे हैं।
गुवाहाटी, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। म्यांमार की सीमा से लगे पूर्वोत्तर के राज्यों में मादक पदार्थो की तस्करी उद्योग का रूप ले चुका है जिसका इस्तेमाल आतंकवादी संगठन हथियारों की खरीद के लिए कर रहे हैं।
खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, "पूर्वोत्तर में आतंकवादी मादक पदार्थो की तस्करी द्वारा हथियारों की खरीद करते हैं।" गौरतलब है कि पूर्वोत्तर के राज्यों से ही देश के अन्य हिस्सों में मादक पदार्थो की गैरकानूनी आपूर्ति की जाती है।
दरअसल, भारत और म्यांमार की 1,643 किलोमीटर की खुली सीमा के कारण तस्करों को गैरकानूनी व्यापार करने में काफी आसानी होती है।
खुफिया विभाग के अधिकारी के अनुसार हेरोइन जैसे मादक पदार्थ थाइलैंड से इन राज्यों में पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को धन सबसे अधिक इन्हीं स्रोतों से प्राप्त हो रहा है।
गौरतलब है कि रविवार को पुलिस और सेना के खुफिया अधिकारियों ने गुवाहाटी में तीन आंतकवादियों को गिरफ्तार किया था। ये तीनों 'पीपुल्स यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट' (पीयूएलएफ) से जुड़े थे। इनकी गिरफ्तारी से ही मादक पदार्थो के बड़े उद्योग के बारे में खुलासा हुआ।
गुवाहाटी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक देवोजित देउरी ने कहा, "प्रमुख मादक पदार्थ स्पेसमोप्रोक्सिवेन की 27 हजार कैप्सुलों को हमने जब्त किया।" इन मादक पदार्थो की मांग सबसे अधिक होती है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी पूर्वोत्तर के राज्यों में मादक पदार्थो के व्यापार पर चिंता व्यक्त कर चुका है। दरअसल, इन इलाकों के युवा मादक पदार्थो की गिरफ्त में आ चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों में म्यांमार के रास्ते सबसे अधिक मादक पदार्थ पहुंच रहे हैं।
पूर्वोत्तर में सक्रिय कई आंतकवादी संगठन म्यांमार से अपनी गतिविधि चला रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार म्यांमार की सैन्य सरकार देश में मादक पदार्थो के उत्पादन और तस्करी की घटनाओं को नजरअंदाज कर रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**