वाराणसीः लाशों को भी करना पड़ रहा इंतज़ार
यहां के डोम राजा किशन चौधरी ने बताया कि इस घाट पर लाशों की भीड़ पिछले तीन दिनों से लग रही है। इसमें आने वाली लाशों में अधिकांश लोग लू लगने से मरे बताये जा रहे हैं।
मणिकर्णिका घाट पर तैनात डोम राजा ने बताया की इस समय लाशें इतनी आ रही हैं कि हम लोगों को लाश जलाने वाले मजदूरों को अलग से रखना पड़ रहा है। क्योंकि इस समय लाशें चौबीस घंटे जलाई जा रही हैं। डोम राजा चौधरी ने बताया की लाशों का दबाव शाम चार बजे से ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि दिन में धूप बहुत तेज हो रही है।
सेवापुरी से श्रीनाथ वनवासी की लाश लेकर आए उनके परिजनों ने बताया कि हम लोग यहां लाश लेकर आ तो गए थे 11 बजे ही, लेकिन नंबर आया है शाम को साढ़े सात बजे। मणिकर्णिका घाट पर लाशों की भीड़ को देखते हुए उन्हें जलाने वाली लकड़ियों के दामों में भी तेजी देखी जा रही है।
जो लकड़ी एक हफ्ते पहले 170 रुपये प्रति मन (40 किलो) बिक रही थी वहीं लकड़ी अब 210 रुपये प्रति मन बिकने लगी है। शाम को सात बजे तक जल चुकी लाशों की संख्या 54 थी जिसमें 14 लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे और 9 लाशें चिता पर जल रही थीं।
गौरतलब है कि वाराणसी और आस-पास के इलाके में पिछले एक हफ्ते से दिन का तापमान 40 डिग्री के आस-पास बना हुआ है जिसमें शुक्रवार का दिन अब तक का सबसे गर्म दिन रहा। उस दिन तापमान 44.5 डिग्री तक पहुंच गया था। जानकार बताते हैं कि ऐसा लग रहा है कि इस साल भी गर्मी 1999 के रकार्ड को छू जायेगी क्योंकि 1999 के 30 अप्रैल को तापमान 44.8 डिग्री तक पहुंच गया था।
मौसम वैज्ञानिक बी.आर.डी. गुप्ता बताते हैं कि बिना पश्चिमी विक्षोभ के आए मौसम के तापमान में नरमी के आसार नहीं दिख रहे हैं। क्योंकि आम तौर पर देखा जाता है कि अप्रैल महीने में पश्चिमी विक्षोभ के कारण आंधी पानी आते रहते हैं लेकिन इस बार पिछले एक पखवारे से ऐसा नहीं हो रहा है यही कारण है कि तापमान में स्थिरता बनी हुई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस