पूरी तरह मांग पर केंद्रित है मौजूदा आर्थिक परिदृश्य : आरबीआई
नई दिल्ली, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में जहां कुल मिलाकर आपूर्ति की स्थिति में सुधार हुआ है वहीं, तमाम उपलब्ध संकेत अभी भी इस बात के पक्ष में हैं कि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य पूरी तरह से मांग केंद्रित है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक समीक्षा नीति में इस बात का उल्लेख हैं कि वित्तीय वर्ष 2007-08 की अंतिम तिमाही के दौरान महंगाई में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के लिए आपूर्ति पर दबाव जिम्मेदार रहा। बैंक ने पेट्रोल व डीजल की कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ देश में गेहूं, खाद्य तेल व इस्पात की कीमतों में बेतहाशा तेजी के लिए वैश्विक परिदृश्य को उत्तरदायी माना है।
रिजर्व बैंक के अनुसार महंगाई में वृद्धि सिर्फ भारत की समस्या नहीं है बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। मौजूदा हालात पर गौर करें तो पाते हैं कि कमोडिटी की कीमत वैश्विक स्तर पर नित्य नई ऐतिहासिक ऊंचाइयों को छू रही है। ऐसा नहीं कि मंहगाई की समस्या से सिर्फ विकासशील देशों को जूझना पड़ रहा है, विकसित देशों के लिए भी यह परेशानी का सबब बना हुआ है। तभी तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व से लेकर यूरोपीय सेंट्रल बैंक तक की नीतियों के केंद्र में महंगाई सबसे अव्वल है।
बैंक ने माना है कि मांग और आपूर्ति में तालमेल न बन पाने से संकट उत्तरोतर गंभीर हुआ है। नई नीति में गैर खाद्य क्षेत्रों में संतोषजनक वृद्धि दावा किया गया है। बैंक के अनुसार वित्तीय वर्ष 2007-08 की अंतिम तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा के प्रवाह के साथ-साथ मुद्रा की तरलता में भी काफी उठापटक देखने को मिली।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।