भारत को परमाणु समझौते पर आगे बढ़ना चाहिए : ब्रजेश मिश्र
नई दिल्ली, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिका के साथ असैनिक परमाणु समझौते का समर्थन करते हुए पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने कहा है कि यदि समझौता नहीं हुआ तो यह भारत की छवि के लिए काफी बड़ा नुकसान होगा।
मिश्र ने रविवार की रात को सीएनएन-आईबीएन पर प्रसारित होने वाले डेविल्स एडवोकेट कार्यक्रम में करण थापर को दिए साक्षात्कार में कहा, "मेरे विचार से हमें समझौते के लिए आगे बढ़ना चाहिए।"
मिश्र ने कहा कि हमें इसमें दोहरे उपयोग वाली तकनीक नहीं मिलेगी लेकिन इसे खारिज नहीं किया जा सकता है।
इस विवादास्पद मुद्दे पर उनके बयान को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मिश्र न केवल पूर्व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधंन (एनडीए) सरकार में सुरक्षा सलाहकार थे बल्कि वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के भी काफी करीबी हैं।
भारतीय जनता पार्टी और वाम दलों द्वारा परमाणु समझौते के विरोध को मिश्रा ने राजनैतिक प्रश्न बताते हुए कहा कि मेरा निजी विचार है कि यदि परमाणु समझौता नहीं हुआ तो यह इसका नकारात्मक प्रभाव भारत के ऊपर पड़ेगा।
उन्होंने साफ कहा कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति चाहे डेमोक्रेट हो या रिपब्लिकन परमाणु समझौता करना काफी मुश्किल होगा क्योंकि तब समझौते को नए सिरे से तैयार करना होगा।
मिश्र ने कहा कि समझौता करने का भारत के लिए सबसे उपयुक्त समय है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि असैनिक परमाणु समझौते के होने से भारत के लिए तीन दशकों से बंद परमाणु व्यापार का दरवाजा खुल जाएगा। इसके नहीं होने से भारत का तीन चरणों का कार्यक्रम पिछड़ जाएगा।
मिश्र ने कुछ भाजपा नेताओं द्वारा इसके कारण भारत की संप्रभुता प्रभावित होने के भय को निराधार बताया। उनके अनुसार समझौते का भारत के रणनीतिक कार्यक्रमों पर कोई प्रभव नहीं पड़ेगा।
मिश्र ने समझौते के कारण भारत के परमाणु परीक्षण बंद करने से उसकी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना से इंकार कर दिया।
मिश्र ने कहा कि दो बातों पर चिंता व्यक्त की जा रही है उन पर मेरा विचार है कि हमें परमाणु परीक्षण करने पर रोक नहीं है और एनडीए सरकार ने हटने से पहले जो कार्यक्रम बनाया है वह चल रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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