महंगाई और मंदी के दुश्चक्र में फंसा तेल!
नई दिल्ली, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। भले ही सप्ताहांत तेल की कीमतों को भू-राजनीतिक तनावों के मद्देनजर आए आपूर्ति संकट से सहारा मिला हो, इस बात के अब भी आसार जस के तस हैं कि तेल की राह के दो बड़े रोड़े महंगाई और मंदी आगे का रास्ता मुश्किल ही करेंगे।
नई दिल्ली, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। भले ही सप्ताहांत तेल की कीमतों को भू-राजनीतिक तनावों के मद्देनजर आए आपूर्ति संकट से सहारा मिला हो, इस बात के अब भी आसार जस के तस हैं कि तेल की राह के दो बड़े रोड़े महंगाई और मंदी आगे का रास्ता मुश्किल ही करेंगे।
एक तरफ जहां सप्ताहांत आपूर्ति संकट ने तेल को पिछले दिनों आए दवाब से निकलने में अल्पावधि के लिए ही सही सहारा दिया लेकिन दूसरी तरफ सप्ताह के अंतिम दो दिनों में अमेरिका से प्रकाशित उपभोक्ता व बेरोजगारी व अन्य आंकड़ों ने तेल के लिए समस्याएं बढ़ा दीं।
इससे पूर्व न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज नाइमेक्स में सप्ताहांत तेल का जून वायदा 2.46 डालर यानी 2.1 फीसदी चढ़कर 118.52 डालर प्रति बैरल बंद हुआ। सप्ताह के दौरान ही सोना बुधवार को 119.90 डालर प्रति बैरल की रिकार्ड ऊंचाई तक चला गया था।
बाजार समीक्षकों के अनुसार अमेरिकी जलपोतों द्वारा दो ईरानी नौकाओं पर हमले और नाइजीरिया में विद्रोहियों के तेल पाइपलाइन को उड़ाने के दावे के मद्देनजर आपूर्ति में आए व्यवधान संकट की संभावना से सप्ताहांत तेल की कीमतों को मामूली तेजी मिली। लेकिन अमेरिका में जारी पेरोल व उपभोक्ता आंकड़ों ने आने वाले सप्ताह के लिए तेल की हवा भी बिगाड़ दी।
बाजार समीक्षक मानकर चल रहे हैं कि ये आंकड़े तेल की कीमतों के लिए नरमी का माहौल तैयार कर सकते हैं। कारण दोनों आंकड़े अमेरिका में बढ़ रही महंगाई के साथ-साथ इस बात के भी सूचक हैं कि अमेरिकी लोगों की क्रयशक्ति में भारी गिरावट आई है।
इन आंकड़ों के अनुसार मार्च के दौरान अमेरिका में रोजगारों की संख्या में 80 हजार तक की कमी आई। पिछले 5 वर्षो में रोजगार में यह सबसे बड़ी गिरावट है।
वहीं आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही के दौरान अमेरिका में कार और ट्रकों की बिक्री में वर्ष 1998 की तीसरी तिमाही के बाद से सबसे बड़ी कमी आई।
इन आंकड़ों के साथ-साथ बुधवार को अमेरिकी ऊर्जा मंत्रालय के सूचना व प्रशासन विभाग से बुधवार को जारी क्रूड इन्वेंटरी आंकड़ों में भी तेल की कीमतों के लिए शुभ संकेत नहीं रहा।
इन आंकड़ों से स्पष्ट हो गया है कि खस्ताहाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मद्देनजर पेट्रोलियम उत्पादों की अमेरिकी मांग में कमी से स्टाक में इजाफा हुआ है। और अगर ऐसा है तो तेल की कीमत को आने वाले दिनों में नीचे सरकने के लिए तैयार रहना चाहिए।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में वृद्धि की घोषणा नहीं किए जाने व आपूर्ति संकट से संबंधित अल्पकालिक संकट खड़ा नहीं होने की स्थिति में तेल को 90 डालर तक वापस आना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।