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कला महोत्सव : युवा प्रतिभाओं के मानवीय सरोकार

By Staff
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नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी स्थित त्रावणकोर कला महोत्सव में 23 अप्रैल से पहले दिल्ली कला महोत्सव, ग्रीष्म '08 की शुरुआत हुई। इस आयोजन का मकसद नवोदित कलाकारों को सामने लाना है। कुछ वरिष्ठ कलाकारों के साथ युवाओं को आगे लाने की अनोखी शुरुआत है। इसमें अनेक चित्रकार और कुछ काष्ठकार अपनी कृतियों का प्रदर्शन कर रहे हैं।

नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी स्थित त्रावणकोर कला महोत्सव में 23 अप्रैल से पहले दिल्ली कला महोत्सव, ग्रीष्म '08 की शुरुआत हुई। इस आयोजन का मकसद नवोदित कलाकारों को सामने लाना है। कुछ वरिष्ठ कलाकारों के साथ युवाओं को आगे लाने की अनोखी शुरुआत है। इसमें अनेक चित्रकार और कुछ काष्ठकार अपनी कृतियों का प्रदर्शन कर रहे हैं।

युवा कलाकारों में दिल्ली के ही रविंद्र कुमार हैं। उनकी कलाकृति 'अर्थ नीड्स लव' विशेष तौर पर ध्यान खींचती है। बालक बुद्ध के अंक में सिमटी धरती अपने में समूची मानवजाति की समस्याओं को इंगित करती हुई उनका एक सरल निवारण समझाती है।

खुद कलाकार का कहना है, "किसी भी बच्चे को जैसा माहौल दिया जाता है वह उसी के अनुसार पनपता है। मैं चाहता हूं कि आज के बच्चों में बुद्ध जैसी करुणा हो जिससे मानवजाति की आधी से ज्यादा समस्याएं हल हो सकती हैं।" कलाकृति तैल और एक्रेलिक के मिक्स मीडियम से बनी है।

इसी तरह भोपाल के भारत भवन में काम करने वाले युवा जितेंद्र कुमार डांगी चित्रकला में किसी विशेष 'फॉर्म' में यकीन नहीं करते हैं। उनके अनुसार कलाकृति में 'विज़न' अधिक महत्वपूर्ण है। वह अपनी कलाकृतियों में 'फिग्रेटिव और एबस्ट्रेक्ट' का एक समान इस्तेमाल करते हैं। यही उनकी अभिव्यक्ति का माध्यम भी है। अपनी शैली को वह 'एग्रेवल साइन' की संज्ञा देते हैं। अपनी कृतियों में वह अधिकांशत: पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं।

बंगाल में जन्मे और लंबे समय से दिल्ली में रह रहे संजीव मंडल की कृति 'कपटी' भी सीधे तौर पर संदेश प्रेषित करती है। सांपों के बीच ध्यान की मुद्रा में बैठे एक व्यक्ति की छवि को मंडल अपने जीवनानुभवों से जोड़ते हैं। उनके अनुसार, "जो भी आज तक जीवन में देखा और झेला, यह कलाकृति उसकी के एक निचोड़ के तौर पर है।"

सच भी है, 'अर्थ नीड्स लव' और 'कपटी' जैसी कलाकृतियां बताती हैं कि आज का कलाकार मौजूदा समस्याओं से कटा नहीं है। वह अपने पूरे होशो-हवास के साथ उनके केंद्र में मौजूद है।

कुछ अन्य कलाकारों में चित्रकला के विद्यार्थी मंगेश राजगुरु और सत्य विजय के काम भी उल्लेखनीय है। देश के दूर-दराज इलाकों से आए यह युवा दिल्ली में चित्रकला की विधिवत तालीम भी ले रहे हैं। अपने कार्यो को पहली बार जनता के सामने ले जाने के अवसर पर वह प्रसन्न दिखे। इनके अतिरिक्त अनिल कुमार की काष्ठकृतियां भी अपनी ओर ध्यान खींचती हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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