भारत-नेपाल संबंधों पर दो दिवसीय सम्मेलन शुरू
पटना, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत और नेपाल के संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने को केंद्र में रख आज से पटना में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारंभ हुआ। भारतीय विदेश मंत्रालय के 'पब्लिक डिप्लोमेसी डिवीजन' की देख-रेख में हो रहे इस सम्मेलन में भारत एवं नेपाल के नीति-निर्धारकों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
दो दिवसीय इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि नेपाल से सटी सात सौ किलोमीटर की हमारी सीमा खुली है। इसलिए बिहार में हो रहे इस सम्मेलन का विशेष महत्व है। यह सम्मेलन उस समय हो रहा है, जब नेपाल लोकतंत्र के रास्ते पर चल पड़ा है। दोनों देशों का रिश्ता सदियों पुराना है।
उन्होंने कहा कि भारत 1500 किलोमीटर की सड़क योजना पर काम कर रहा है। जिससे सीमा क्षेत्रों में पूर्व-पश्चिम हाई-वे से आना-जाना सहज हो जाएगा। यह दोनों देशों के रिश्तों को मधुर बनाने में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
उन्होंने कहा कि नेपाल आज एक नए युग में प्रवेश कर रहा है। इस नई पृष्टभूमि में नेपाल और भारत के वर्तमान और भविष्य के संबंधों के बारे में गहन विचार करने का यह सही अवसर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपाल-भारत के सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र जल संसाधन का है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पास संयुक्त रूप से अत्यंत विशाल जल संसाधन उपलब्ध हैं। इसके समुचित उपयोग से गरीबी को दूर कर आर्थिक विकास और रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ एक समतावादी समाज की कल्पना को भी साकार किया जा सकता है। इस मौके पर उन्होंने कोशी और गंडक परियोजना संबंधी भारत-नेपाल इकरारनामे को भविष्य के संयुक्त प्रयासों के लिए एक अच्छा उदाहरण बताया।
कुमार ने कहा कि नेपाल में जल विद्युत क्षेत्र के विकास में भारत के निजी क्षेत्रों की कुछ सहभागिता बढ़ी है। इस प्रक्रिया में भारत के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं की भागीदारी और बढ़े, इसका प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नवम्बर 2006 में समेकित शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद से ही नेपाल को शांति, जनतंत्र और उन्नति की ओर अग्रसर करने में सहयोग के लिए भारत प्रतिबद्ध है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।