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नेपाल-भारत के रिश्तों का सिलसिला जारी रहेगा

By Staff
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पटना, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। विदेश मंत्रालय और बिहार सरकार के संयुक्त तत्वाधान में यहां भारत-नेपाल संबंधों पर आयोजित एक सेमीनार में सभी वक्ताओं ने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच सदियों से चले आ रहे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। सभी वक्ताओं ने नेपाल में जनतंत्र की बहाली का स्वागत भी किया।

सेमिनार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित पूर्व विदेश सचिव डा. श्याम शरण ने कहा कि पटना में आयोजित इस सेमीनार का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है कि बिहार और नेपाल के संबंधों का अपना एक अलग इतिहास रहा है।

शरण ने कहा कि चाहे संस्कृति की बात हो या सामाजिकता की, सारे मामलों में बिहार और नेपाल का संबंध स्वर्णिम रहा है। उन्होंने कहा कि आज इस बात की भी खुशी है कि नेपाल में लोकतंत्र के लिए आंदोलन करने वालों में कई लोगों के संबंध व्यक्तिगत रूप से बिहार से रहे हैं। यहां की शैक्षणिक संस्थाओं के साथ भी नेपाल के लोगों का विशेष लगाव रहा है। डा. शरण ने कहा कि वैदेशिक मामलों में देश की हमेशा एक राय रही है, चाहे सत्ता में कोई भी रहा हो।

सेमीनार को संबोधित करते हुए नेपाल की भौतिक योजना व कार्यान्वयन मंत्री हिसिला यामी ने नेपाल सरकार की तरफ से आयोजकों को धन्यवाद दिया कि उन्होंने इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर भारत और नेपाल के उभरते संबंधों को एक नया आयाम दिया है। उन्होंने कहा कि लोगों को राजशाही के अंत की लंबे समय से प्रतीक्षा थी, वह अब पूरी हो गई है।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) एवं सात पार्टियों के 12 सूत्री समझौते की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसी समझौते की तार्किक परिणति के रूप में यह लोकतंत्र नेपाल में आया है। नेपाल में आए जनतंत्र में भारत की भूमिका की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत पहला देश है, जिसने इस लोकतंत्र का स्वागत किया। उन्होंने नेपाल में शांति एवं विकास के लिए दो वर्ष के समय सीमा की बात कही है।

नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य सी. पी. गजुरेल ने कहा कि नेपाल चीन और भारत के बीच में सेंडविच नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि नेपाल में मिश्रित अर्थव्यवस्था चलेगी और वह समाजवाद के रास्ते पर चलेगा। संघीय सरकार के क्रियाकलापों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके संचालन पर जो लोग संशय व्यक्त कर रहे हैं, उन्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि नेपाल की शासन व्यवस्था का संचालन इतने सलीके से किया जाएगा कि यहां का विकास एक माडल होगा। नेपाल में माओवादियों द्वारा पिछले तीन-चार वर्षो के दौरान किए आंदोलन के बल पर सत्ता प्राप्ति को उन्होंने जायज ठहराया। नेपाल नरेश ज्ञानेन्द्र के संबंध में उन्होंने कहा कि उन्हें राजमहल छोड़ना होगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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