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भारत-नेपाल संधि की समीक्षा की जरूरत : प्रचंड

By Staff
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काठमांडू , 24 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में हुए चुनाव में आधिकारिक रूप से सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी नेकपा (माओवादी) के नेता प्रचंड ने आज कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य भारत-नेपाल संबंधों को नए आयाम तक पहुंचाना होगा।

काठमांडू , 24 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में हुए चुनाव में आधिकारिक रूप से सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी नेकपा (माओवादी) के नेता प्रचंड ने आज कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य भारत-नेपाल संबंधों को नए आयाम तक पहुंचाना होगा।

इसके लिए भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि 1950 के स्थान पर एक नई संधि तथा अन्य समझौतों की फिर से समीक्षा करने की आवश्यकता है।

माओवादी कई बार 1950 की संधि को गैरबराबरी का बता कर इसकी समीक्षा करने की बात कह चुके हैं। उनका मानना है कि इससे नेपाल की सुरक्षा भारत पर निर्भर हो गई है।

भारत-नेपाल 1950 की संधि में दोनों पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय व्यापार, आवागमन और प्रत्यर्पण संधि भी है। भारत और नेपाल के बीच इन संधियों के कारण कभी-कभी विवाद भी होता है।

इसके आलावा 1996 में हुई महाकाली संधि सबसे अधिक विवादास्पद है। भारत में शारदा के नाम वाली काली नदी का जल सिंचाई और जलविद्युत पैदा करने के लिए उपायोग किया जाता है। माओवादियों ने इसे 10 अप्रैल को हुए चुनावों में एक मुद्दा बना रखा था।

भारत के नेपाल में राजदूत शिवशंकर मुखर्जी ने पिछले साल कहा था कि भारत 1950 की संधि की समीक्षा करने को तैयार है। लेकिन नेपाल के प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला की सरकार ने संधि की समीक्षा के लिए कोई कूटनीतिक कदम नहीं उठाया।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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