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राजनीतिक पैतरेबाजी में उलझा वायदा कारोबार

By Staff
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नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। कृषि वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगाने को लेकर विभिन्न मंत्रियों के परस्पर विरोधी बयानों के मद्देनजर एक तरफ जहां इस मामले में अनिश्चितता कायम है दूसरी तरफ वायदा कारोबार पर अध्ययन के लिए गठित अभिजीत सेन आयोग की रिपोर्ट में महंगाई के लिए वायदा कारोबार को जिम्मेदार नहीं मानने से मामला और उलझ गया है। अलबत्ता आयोग ने अभी तक सरकार को अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है।

नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। कृषि वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगाने को लेकर विभिन्न मंत्रियों के परस्पर विरोधी बयानों के मद्देनजर एक तरफ जहां इस मामले में अनिश्चितता कायम है दूसरी तरफ वायदा कारोबार पर अध्ययन के लिए गठित अभिजीत सेन आयोग की रिपोर्ट में महंगाई के लिए वायदा कारोबार को जिम्मेदार नहीं मानने से मामला और उलझ गया है। अलबत्ता आयोग ने अभी तक सरकार को अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है।

आयोग के सदस्यों के बीच मतभेद को सुलझाने को लेकर बुधवार को आयोजित बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में आयोग के अध्यक्ष अभिजीत सेन ने कहा कि अध्ययन में इस बात के ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं कि जरूरी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के लिए संबंधित वस्तुओं का वायदा कारोबार उत्तरदायी है।

सेन ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों व तथ्यों के आधार पर यह कहना बेमानी होगा कि हाजिर कीमतों में तेजी से वायदा कारोबार का सीधा संबंध है। उनके मुताबिक आयोग ने प्रस्ताव का मसविदा तैयार कर लिया है और अगले कुछ दिनों में सरकार को सौंप दिया जाएगा।

इससे पूर्व पिछले गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने भी संसद में कहा था कि अभिजीत सेन कमेटी को 10 दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। आयोग अगर निश्चित समय सीमा के भीतर रिपोर्ट नहीं सौंपता है तो सरकार अपनी तरफ से वायदा कारोबार के संबंध में कदम उठाएगी।

पवार ने अपने इस बयान में वामदलों की वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग को गैरवाजिब करार देते हुए कहा था कि महंगाई में तेजी के लिए वायदा कारोबार को कटघरे में खड़ा करना तर्कसंगत नहीं है। उनके अनुसार घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी के तार वैश्विक घटनाक्रमों से जुड़े हैं।

पवार के बयान के बाद केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री कमलनाथ ने शनिवार को हालांकि बयान दिया था कि संबंधित राज्य सरकारें अगर कीमतों को रोकने की दिशा में उचित कदम नही उठाती है तो केंद्र सरकार वायदा कारोबार पर रोक लगाने के संबंध में निर्णय ले सकती है।

कुल मिलाकर अनिश्चितता के इस माहौल में सबसे ज्यादा कीमत किसानों और उपभोक्ताओं को चुकानी पड़ रही है। एक तरफ वायदा कारोबार पर रोक की संभावना के मद्देनजर कारोबारी जहां जमाखोरी में जुट गए हैं वहीं वायदा बाजार में मुनाफावसूली की मार से कीमतें लगातार गिर रही है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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