सरकार सीटीटी प्रस्ताव वापस ले : खटुआ
नई दिल्ली, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में कमोडिटी बाजार की नियामक संस्था फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) चाहती है कि सरकार वायदा बाजार पर प्रस्तावित कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स यानी (सीटीटी) को वापस ले ले।
नई दिल्ली, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में कमोडिटी बाजार की नियामक संस्था फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) चाहती है कि सरकार वायदा बाजार पर प्रस्तावित कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स यानी (सीटीटी) को वापस ले ले।
एफएमसी के चेयरमैन बी.सी. खटुआ का कहना है कि सरकार का यह कदम कारोबारियों व सटोरियों को विदेशी वायदा बाजार में निवेश के लिए न सिर्फ प्रोत्साहित करेगा बल्कि कारोबार में पैकिंग यानी अवैध तरीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देगा।
खटुआ के अनुसार घरेलू वायदा बाजार मे कारोबार पहले से ही महंगा है और अगर सरकार का यह प्रस्ताव अमल में आ जाता है तो कारोबार 800 गुना महंगा हो जाएगा। खटुआ मानते हैं कि बिना किसी उचित नियामक ढांचे के ऐसे किसी प्रस्ताव को लागू करना वायदा कारोबार के हित में नहीं होगा।
इससे पूर्व सरकार ने वर्ष 2008-09 के आम बजट में एक अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष के दौरान कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को व्यवहार में लाने का प्रावधान किया था। इस प्रस्ताव के तहत निपटान सौदों पर बिकवाल को 0.017 फीसदी और लेवाल को 0.125 फीसदी की दर से कर अदा करने की व्यवस्था की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्ताव के क्रियान्वित होने की स्थिति में वायदा कोराबार करने वाले किसानों को भी सीटीटी को वहन करना होगा। अभी किसानों को वायदा कारोबार पर कर नहीं चुकाना पड़ रहा है।
इस बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक मामलों की सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने इस मसले पर प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की गई है कि वह इस प्रस्ताव को वापस ले ले क्योकि देश में वायदा कारोबार अभी नवजात स्थिति में है।
गौरतलब है कि एफएमसी की मांग के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर सलाहकार परिषद से रिपोर्ट मांगी थी। फिलहाल वित्त मंत्रालय को संसद में वित्त विधेयक को पारित करवाने से पहले इस मुद्दे पर निर्णय लेना है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।