दिल्ली के जैन समुदाय ने मांगा अल्पसंख्यक का दर्जा
नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। राजधानी के जैन समुदाय ने अपने को भी बौद्धों, ईसाइयों, सिखों, मुस्लिमों और पारसियों की तरह अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिए जाने की मांग की है।
नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। राजधानी के जैन समुदाय ने अपने को भी बौद्धों, ईसाइयों, सिखों, मुस्लिमों और पारसियों की तरह अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिए जाने की मांग की है।
गौरतलब है कि उपरोक्त समुदायों को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1999 के तहत अल्पसंख्यक समूहों का दर्जा दिया गया है।
जैन समुदाय का कहना है कि उन्होंने अल्पसंख्यक दर्जे की मांग इसलिए की है क्योंकि वे चाहते हैं जैन धर्म को एक विषय के रूप में जैन स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
गौरतलब है कि दिल्ली और इससे लगे हुए क्षेत्रों में कुल आठ जैन स्कूल है।
उनका कहना है कि वे इन आठ स्कूलों में बच्चों को जैन धर्म नहीं पढ़ा सकते क्योंकि इनमें से ज्यादातर स्कूलों को दिल्ली सरकार से सहायता मिलती है और सरकार द्वारा इन स्कूलों में किसी एक धर्म को पढ़ाने की मनाही है जब तक कि वह अल्पसंख्यक समुदायसे संबंधित न हो।
दिल्ली में जैन समाज के प्रमुख चक्रेश जैन ने एक विशेष भेंटवार्ता में आईएएनएस को बताया, "सरकार जैन समुदाय की अनदेखी कर रही है। हमें अल्पसंख्यक का दर्जा चाहिए ताकि हमारे धर्म की रक्षा की जा सके। हम अपने बच्चों को जैन धर्म की शिक्षा देना चाहते हैं इसलिए स्कूलों पर हम अपना नियंत्रण चाहते हैं।"
उन्होंने कहा कि उनका समुदाय नौकरी और शिक्षा में आरक्षण नहीं चाहता है वह बस अपने बच्चों को जैन धर्म में संस्कारित करना चाहता है।
चक्रेश ने बताया कि उनके समुदाय के बच्चे जैन धर्म की परंपराओं और संस्कृति को नहीं जान पाते क्योंकि वे जैन स्कूलों में नहीं पढ़े होते हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली में इस समय जैन समुदाय के चार लाख 80 हजार लोग हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।