स्वीडन की जेल में बदहाल हैं भारतीय व अफगानी
स्टाकहोम, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। शरण की चाह रखने वाले दो दक्षिण एशियाई, जिनमें एक कश्मीरी हिंदू और एक अफगान सिख हैं, इन दिनों स्टॉकहोम के बाहर स्थित स्वीडन प्रवासी कारावास केंद्र में दुर्बल हो गए हैं।
स्टाकहोम, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। शरण की चाह रखने वाले दो दक्षिण एशियाई, जिनमें एक कश्मीरी हिंदू और एक अफगान सिख हैं, इन दिनों स्टॉकहोम के बाहर स्थित स्वीडन प्रवासी कारावास केंद्र में दुर्बल हो गए हैं।
अवैध रूप से पांच साल पहले स्वीडन पहुंचे 37 वर्षीय कश्मीरी ढिल्लो सिंह को 8 महीने के लिए 'मार्सटा कारावास केंद्र' में भेज दिया गया। मनोचिकित्सकों के अनुसार इस कारण वह अवसाद से ग्रस्त है और वह आत्महत्या की कोशिश भी कर सकता है।
गौरतलब है कि 26 वर्षीय अफगान सिख हरमिद सिंह को इससे भी पहले से यहां कैद किया गया है।
दोनों नहीं जानते कि वे अगले दो घंटों या फिर अगली सुबह तक जीवित भी होंगे या नहीं। इसकी वजह यह हैकि साथी बंदियों के साथ प्रतिदिन जैसा क्रूर व्यवहार किया जाता है उसे देखते हुए ही वे यह सब सोचने को मजबूर हैं।
आईएएनएस संवाददाता ने इन दोनों से जेल में जाकर मुलाकात की।
आईएएनएस से बातचीत में ढिल्लो ने बताया कि उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से परेशान किया जा रहा है। ढिल्लो बताते हैं, "मैं बहुत बीमार हूं। मनोचिकित्सकमेरा उपचार कर रहे हैं। इस बीच मेरा वजन 15 किलो कम हो चुका है।"
वजन कम होने का एक महत्वपूर्ण कारण उन्हें दिया जाने वाला भोजन है। ढिल्लो कहते हैं, "मैं शाकाहारी हूं। यहां के जेलर के हिसाब से शाकाहारी को सिर्फ उबले चावल या फिर सेवईंया खाने में दिया जा सकता है।"
पिछले साल दो बार ढिल्लो को स्टाकहोम स्थित भारतीय राजदूत ले जाया गया था। लेकिन सेक्रेटरी सचिव आर. मिश्रा ने कोई पहचान पत्र न होने के कारण उसकी मदद करने में असहमति जताई थी।
ज्ञात हो कि 2003 में ढिल्लो जम्मू कश्मीर से भाग गया था। एक साल बाद भारत-पाक स्थित 'लाइन ऑफ कंट्रोल' से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेंधर में मुठभेड़ के दौरान उसके पिता और बड़े भाई की भी मौत हो गई थी।
इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों और दोस्तों ने मिलकर अवैध रूप से एक ट्रैवल एजेंट द्वारा उसे बाहर भेज दिया था। जहां से वह स्वीडन पहुंचा था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।