महंगे कर्मचारियों से विप्रो को झटका

By Staff
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Azim Pramji
बंगलौर, 19 अप्रैलः कम्यूटर के साफ्टवेयर निर्यात करने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी 'विप्रो लिमिटेड' के मुनाफे में वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान तीन प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है।

ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई मंदी, रुपये में जबरदस्त तेजी और कर्मचारियों के बढ़ते वेतन-भत्तों की वजह से विप्रो के मुनाफे में कमी आई है। गौरतलब है कि देश की ज्यादातर साफ्टवेयर कंपनियां अमेरिका को ही अपने उत्पादों का निर्यात करती हैं।

वित्त वर्ष 2007-08 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) में कंपनी को मात्र 8.8 अरब रुपये का मुनाफा हुआ। उल्लेखनीय है कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान कंपनी को 32.8 अरब रुपये अर्थात 12 प्रतिशत का मुनाफा हुआ था और इससे एक वर्ष पहले इसी अवधि के दौरान 29.4 प्रतिशत का मुनाफा कंपनी ने कमाया था।

विप्रो के अध्यक्ष अजीम एच. प्रेमजी ने पत्रकारों को आज बताया, "चौथी तिमाही के नतीजे मुश्किलों से भरे अगले वित्तीय वर्ष के संकेत हैं। बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं। इनका तत्काल प्रभाव करोबार पर पड़ रहा है। लेकिन मैं समझता हूं कि मध्यावधि और लंबी अवधि के दौरान परिस्थितियां बेहतर होंगी।"

गौरतलब है कि तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में भी कंपनी ने ज्यादा मुनाफा नहीं कमाया था। उक्त अवधि के दौरान कंपनी को मात्र 8.5 अरब रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था।

विप्रो के मुख्य वित्तीय अधिकारी सुरेश सेनापति ने चौथी तिमाही के परिणाम जारी करने के मौके पर मीडिया को बताया कि ये परिणाम रुपये में 11 प्रतिशत तेजी और वेतन भत्तों में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि से प्रभावित हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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