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पुराने किले में हुआ '1857: एक सफरनामा' का मंचन

By Staff
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नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। राजधानी के पुराने किले में तात्या तोपे, नाना साहेब और नवाब वाजिद अली शाह जैसे ऐतिहासिक चरित्रों को मशहूर रंगकर्मी नादिरा जहीर बब्बर ने '1857: एक सफरनामा' की प्रस्तुति के माध्यम से जीवंत कर दिया है।

इस नाटक की यह प्रस्तुति राजधानी के प्रमुख नाट्य स्कूल 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' की 50वीं सालगिरह के मौके पर दी गई। इसके माध्यम से बालीवुड अभिनेता और सांसद राज बब्बर की पत्नी नादिरा, पुत्री जूही और पुत्र आर्यन ने पुराने किले में शुक्रवार की शाम को यादगार लम्हों में तब्दील कर दिया।

इस नाटक की निदेशक नादिरा ने आईएएनएस को बताया कि इस नाटक में 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए किसानों, कुम्हारों और अन्य कामगार वर्गो के विद्रोह को नए तरीके से पेश किया गया है।

उन्होंने बताया कि नाटक की कहानी सच्चे भारत की तस्वीर पेश करती है। यह बताती है कि इसका मिजाज पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष है।

इस नाटक में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अवध विलयन के दिखाए गए दृश्य एकदम जीवंत थे। नाटक में यह भी दिखाया गया कि विद्रोहियों ने बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी पर वे आखिर में पराजित हो गए।

नादिरा ने बताया कि इस नाटक को चुने जाने का खास कारण है। यह साल सिपाही विद्रोह के 150 साल पूरे होने का वर्ष है। इसलिए इस वर्ष में अपनी विरासत को याद करना खास मायने रखता है।

इस नाटक के लेखक अमरेश मिश्रा ने बताया कि इसमें नए शोधपरक अध्ययनों को भी शामिल किया गया है पर नाटक का प्रमुख आधार 'वार ऑफ सिविलाइजेशन 1857' पुस्तक ही है।

मिश्रा ने बताया कि इस नाटक में बीवीगढ़ दुर्घटना को नए तरीके से पेश किया गया है। इसमें यह दिखाया गया है कि नाना साहब को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। इसी साजिश के तहत ब्रिटिशों ने अपनी महिलाओं और बच्चों को मारा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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