तीन कारखानों को लेकर बिहार और झारखंड में विवाद
पटना, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड के तीन कारखानों पर बिहार ने अपना हक जताया है। दोनों राज्यों को अलग हुए सात साल जरूर हो गए लेकिन आज भी वहां के कई संसाधनों पर दावेदारी की लड़ाई जारी है। कारखानों के हक की लड़ाई इसी का उदाहरण है।
बिहार सरकार ने झारखंड के तीन कारखानों पर अपनी दावेदारी जताते हुए उसकी बिक्री की तैयारी प्रारंभ कर दी है और कारखानों की लीज के लिए एक निविदा भी आमंत्रित कर दी है। बिहार सरकार के इस फैसले पर झारखंड सरकार बेहद खफा है। बिहार सरकार ने जिन तीन कारखानों पर अपनी दावेदारी जताई है उसमें सिंदरी स्थित सुपर फास्फेट कारखाना, रांची स्थित हाइटेंशन तथा विद्युत उपकरण कारखाना शामिल है।
बिहार की इस दावेदारी के बाद झारखंड के उद्योग सचिव के. के. खंडेलवाल ने राज्य के उद्योग मंत्री सुधीर महतो के निर्देश पर बिहार के उद्योग सचिव अशोक कुमार सिन्हा से इस मामले में अपनी आपत्ति जाहिर कर दी है। खंडेलवाल ने झारखंड के उद्योग सचिव को जल्द ही अपना पक्ष प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है।
झारखंड के उद्योग मंत्री सुधीर महतो ने कहा, "यह कैसे हो सकता है कि झारखंड की संपत्ति पर कोई और अपनी दावेदारी करे और उसे बेचने की बात करने लगे।" उन्होंने कहा कि इस मामले में वह बिहार के मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
सुधीर महतो ने जानकारी दी कि पूर्व में जब वार्ता हुई थी उस समय बिहार सरकार ने तीनों कंपनियों की देनदारी 275 करोड़ रुपये बताई थी। इसमें झारखंड को 80 करोड़ रुपये देने थे पर बिहार सरकार 275 करोड़ रुपये देने की मांग कर रही है जो गलत है। इस मामले पर उपमुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी भी बिहार के मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
मंत्री ने दावा कि तीनों कारखाने झारखंड की परिसंपति है। कारखानों पर मजदूरों का 75 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। झारखंड सरकार इस मामले को 25 करोड़ रुपये दे कर निपटाने की तैयारी कर रही है। ज्ञात हो कि झारखंड स्थित इन तीन कारखानों को निजी हाथों में लीज पर देने के लिए बिहार सरकार ने निविदा निकाली है।
इधर, 'बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड' (बीएसआईडीसी) के मुख्य प्रबंधन अधिकारी विजय प्रकाश ने बताया कि एकीकृत बिहार में बीएसआईडीसी के अन्तर्गत 41 कंपनियां है। इनमें से कई झारखंड में हैं। बंद पड़े इन तीनों कारखानों को हम खोलना चाहते हैं तो इसमें क्या हर्ज है। यह सब सरकार की नीति है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम कारखानों पर दावा क्यों करें? वह तो हमारी ही संपत्ति है। झारखंड सरकार उन कारखानों को बेवजह अपना बता रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।