एनसीपी की नई राजनीति से सब हैरान
नई दिल्ली, 17 अप्रैलः राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता प्रफुल्ल पटेल के राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का सुयोग्य उम्मीदवार बताए जाने पर राजनीतिक दलों, विशेषकर पवार के विरोधी खेमों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
पटेल के इस बयान से 2009 के लोक सभा चुनावों की नई रणनीति का भी अंदाजा लगने लगा है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने भी हाल ही में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना है।
पटेल के इस बयान पर कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है। इसके विपरीत दल में पटेल के बयान पर तरह-तरह की अटकलें जरूर लगाई जा रही हैं। कुछ कांग्रेसी नेता इसे एनसीपी के सुप्रीमो शरद पटेल की आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा भी मान रहे हैं। कुछ का यह भी मानना है कि पवार इसके मार्फत कांग्रेस में विलय का प्रयास करेंगे।
एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का कहना है कि यह पैंतरा पवार द्वारा अगले आम चुनावों से पहले और बाद के हालात को भुनाने का प्रयास हो सकता है। उनका कहना है कि इसके साथ ही वह एनसीपी के लिए महाराष्ट्र में ज्यादा से ज्यादा लोकसभा की सीटें किए जाने की भी व्यूह रचना कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के कुछ विपक्षी नेताओं की सोच इस बारे में अलग है। उनका कहना हैं कि यदि कांग्रेस इस मुद्दे पर पवार से सौदेबाजी करती है तो उसे महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों में नुकसान उठाना पड़ेगा।
महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार है। वैसे दोनों के बीच राज्य में संबंध बहुत मधुर नहीं हैं। कांग्रेस को रिझाने का यह प्रयास पवार के निजी फायदे के लिए भी हो सकता है। इसके बाद उन्हें अपनी बेटी सुप्रिया सुले और भतीजे अजीत पवार को अपना उत्तराधिकार सौंपना आसान हो जाएगा।
अब देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस एनसीपी की इस गुगली को कैसे संभालती है। साथ ही यह भी गौरतलब होगा कि कांग्रेस अगले चुनावों में एनसीपी को किस हद तक अपना सहयोगी बनाए रखती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस