बुंदेलखंड में पानी की रखवाली खजाने की तरह
बुंदेलखंड के छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह और सागर का बुरा हाल है। जहां लोगों को कई-कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रह है। आलम यह है कि पानी ढोने के काम में ट्रैक्टर, बैलगाड़ी, जीप से लेकर मारुति कार तक का उपयोग हो रहा है। लोग पानी के एवज में कोई भी कीमत देने को तैयार हैं।
सबसे बुरा हाल इस समय टीकमगढ़ का है जहां मुख्य जल स्त्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं। नल में पानी सात दिन में एक दफे बड़ी मुश्किल में आता है। लोगों को पानी मिलता रहे इसके लिए नगर पालिका ने टैंकरो का इंतजाम किया है। हालत यह है कि जहां भी टैंकर पहुंचता है उसे लोग लूट लेते हैं। इतना ही नहीं मार-पीट तक की नौबत आ जाती है।
नगर पालिका ने शहर के प्रमुख तालाब महेन्द्र सागर जो कि सूख चुका है उसके बीच स्थित एक बावड़ी को खुदवाया है जिसमें कुछ पानी निकला है। लोग इस पर भी कब्जा करना चाहते हैं। प्रशासन ने बावड़ी के पानी को लूट से बचाने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया है। इतना ही नहीं हर टैंकर पर नगर सेना के दो-दो जवानों की तैनाती कर दी गई है। नगर सेना के यह जवान पानी के टैंकरों की रखवाली खजाने की तरह करते हैं।
टीकमगढ़ के पुलिस अधीक्षक अनुराग कुमार स्वीकार करते हैं कि पानी की समस्या के कारण तनाव की स्थिति बन जाती है, इससे बचने के लिए ही उन्होंने टैंकरों के साथ दो-दो नगर सेना के जवानों की तैनाती की है। वे मानते है कि टैंकर के साथ सुरक्षा का इंतजाम किये जाने से अप्रिय घटना को टाला जा रहा है।
टीकमगढ़
के
अलावा
अन्य
4
जिलों
का
हाल
भी
ठीक
इसी
तरह
का
है।
जहां
के
लोगों
के
लिए
पानी
बेशकीमती
हो
गया
है।
वजह
पिछले
चार
साल
का
सूखा
है।
प्रशासन
और
सरकार
ने
इससे
निपटने
के
इंतजाम
किये
है
मगर
वे
नाकाफी
सिद्ध
हो
रहे
हैं।