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आज खुलेगा मायावती का पिटारा, कासगंज बनेगा जिला

By Staff
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लखनऊ, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री मायावती द्वारा एटा के कासगंज को नया जिला बनाने के फैसले की आज आगरा में घोषणा होने की संभावनाओं के बीच अब कयास इस बात की लगाई जा रही है कि इस जिले का नाम क्या होगा। इस बात को इतना गुप्त रखा गया है कि मंत्रियों तक को इसकी भनक नहीं है और मायावती ही आज इस रहस्य से पर्दा हटाएंगीं।

लखनऊ, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री मायावती द्वारा एटा के कासगंज को नया जिला बनाने के फैसले की आज आगरा में घोषणा होने की संभावनाओं के बीच अब कयास इस बात की लगाई जा रही है कि इस जिले का नाम क्या होगा। इस बात को इतना गुप्त रखा गया है कि मंत्रियों तक को इसकी भनक नहीं है और मायावती ही आज इस रहस्य से पर्दा हटाएंगीं।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लोग यह तो मान रहे हैं कि नए जिले का नाम किसी महापुरूष के नाम पर होगा और अब तक के ट्रैक रिकार्ड के अनुसार मायावती ने जो भी नए जिले बनाए उनके नाम जिन महापुरूषों के नाम पर रखे गए उन सभी का ताल्लुक प्राय: बहुजन समाज से ही है।

इस कड़ी में अम्बेडकर नगर, संत रविदास नगर, गौतम बुद्घनगर, ज्योतिबा राव फूले नगर, संत कबीर नगर, महामायानगर, सिद्घार्थ नगर जिलों का नाम लिया जा सकता है जिन्हें मायावती के मुख्यमंत्रित्वकाल में सृजित किया गया था। इस लिहाज से पार्टी में एक वर्ग मान रहा है कि नए जिले का नाम डा़ अम्बेडकर की पत्नी रमाबाई के नाम पर हो सकता है। अम्बेडकर जयंती के अगले दिन उनकी पत्नी के नाम पर जिले की घोषणा खासी स्वाभाविक हो सकती है।

बहरहाल मायावती की आश्चर्य में डालने वाली राजनीतिक शैली के चलते पार्टी के एटा और आस-पास के नेता नए जिले के नामकरण में राजनीतिक समीकरणों की ओर ध्याान दिला रहे हैं। दरअसल एटा में पिछड़े लोधी बिरादरी की खासी आबादी है और भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह 1993 में कासगंज से चुनाव लड़ भी चुके हैं और उन्होंने तब कासगंज को जिला बनाने का वायदा किया था।

कल्याण सिंह ने तो नहीं लेकिन मायावती ने कासगंज को जिला बना दिया है और बसपा में लोग इस संभावना को भी लेकर चल रहे हैं कि मायावती कल्याण सिंह को और तगड़ा झटका देने के लिए जिले का नाम लोध समुदाय की वीरांगना आवंती बाई के नाम पर रख सकती हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बुलंदशहर की लोकसभा सीट आरक्षित हो जाने के कारण कल्याण सिंह के आगामी लोकसभा चुनाव एटा से ही लड़ने की संभावना है।

कयासों का दौर यहीं नहीं थमता। तीन तहसीलों वाले नए जिले की सोरों तहसील में ही रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास का जन्म हुआ था और अब बहुजन के बजाय सर्वजन की राजनीति कर रही मायावती सवर्णों को खुश करने के लिए चौंकाने वाला निर्णय कर सकती हैं।

इरादा अगर मुस्लिमों को खुश करने का हुआ तो भी कोई मुश्किल नहीं हैं। एटा की ही पटियाली तहसील मध्य युग के विख्यात सूफी शायर अमीर खुसरो की जन्मस्थली है और जिला के नाम के औचित्य को साबित करने के लिए खुसरो का नाम प्र्याप्त है। बहरहाल आज आगरा में मायावती के पिटारे से नए जिले का नाम भी निकलेगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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