असम, बंगाल, केरल नववर्ष पर खुशी में सराबोर (लीड)
नई दिल्ली, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। असम, बंगाल और केरल में आज पारंपरिक नववर्ष के दिन हर्षोल्लास का माहौल रहा। केरल में लोगों ने भारी संख्या में विषु के मंदिरों में पूजा की। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने पर आगामी वर्ष में धन-धान्य में वृद्धि होती है।
इस मौके पर श्रद्धालुओं के लिए 'विषुकनी दर्शन' के विशेष इंतजाम किए गए। केरल में विषुकनी की शुरुआत की तैयारियां एक दिन पूर्व ही शुरू हो जाती हैं।
नववर्ष की सुबह वृद्ध एवं युवा विषुकनी के समक्ष आंखों पर पट्टी बांध कर पहुंचते हैं जिसके बाद वह सबसे पहले अपने इष्ट के ही दर्शन करते हैं।
किशोरों और अन्य छोटे बच्चों के लिए यह अवसर बड़ों से 'विषुकाइनीतम' (भेंट) के इंतजार का होता है।
कोलकाता में नववर्ष के अवसर पर दक्षिण एशियाई मैत्री का प्रतिनिधित्व करती भारत-बांग्लादेश मैत्री एक्सप्रेस ने 43 वर्षो बाद कोलकाता के चितपुर स्टेशन से अपनी यात्रा शुरू की।
कोलकाता में आज पुलिस की ओर से नागरिकों को एक रोचक भेंट दी गई। पुलिस थानों में पहुंचने वाले नागरिकों को गुलाब भेंट कर पेय पदार्थ दिए गए।
कोलकाता पुलिस कमिश्नर गौतम मोहन चक्रवर्ती ने आईएएनएस को बताया, "हमारी ओर से यह इस बात को साबित करने का प्रयास था कि हम जनता के मित्र हैं और उनका भला चाहते हैं। फूल और पेय पदार्थ हमारे निजी पैसे से खरीदे गए हैं।"
आज बंगाली कलैंडर 1415 की तिथि में पहुंचा है। इस अवसर पर कालीघाट और दक्षिणेश्वर मंदिरों में करीब बीस हजार लोगों की पांच किलोमीटर लंबी पंक्ति दिखाई दी।
इस अवसर पर फिल्मकार अपर्णा सेन ने कहा, "मिलीजुली संस्कृति और वैश्वीकरण के बावजूद बंगाली नववर्ष की हमेशा से अपनी अलग पहचान रही है। आज भी जब मैं पोइला बोइशाख के समय बाहर कहीं होती हूं तो भी मुझे मिठाइयों की सुगंध महसूस होती है।"
असम में भी रोंगाली बिहू के अवसर पर ढोल और बांसुरियों की सुर लहरियां सुनाई पड़ीं। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इस अवसर पर कहा, "आज त्यौहार का माहौल है और हमें आशा है कि रोंगाली बिहू नई उम्मीद और शांति लेकर आएगा।"
देश-विदेश के अनेक पर्यटक इस अवसर पर असम में जमा थे। उन्होंने इसे एक अनोखा अनुभव बताया।
मशहूर गायक, 'या अली' फेम जुबीन गर्ग ने असमिया नववर्ष के मौके पर कार्यक्रम पेश किया। उन्होंने असम के लोगों के लिए कुछ विशेष धुनें तैयार की थीं।
त्रिपुरा में भी रंगारंग आयोजन था। वहां करीब आधी जनसंख्या बंगाली समुदाय की है।
इस अवसर पर त्रिपुरा की एक जानी-मानी सांस्कृतिक संस्था 'कब्यालोक' के जॉय नारायण भट्टाचार्जी ने कहा, "पिछले 11 वर्षो से हम बंगाली नववर्ष मनाते आए हैं। बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के कलाकार भी इस अवसर पर समारोह में शिरकत करते हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।