काठमांडू की सत्ता की कुंजी तराई के पास
काठमांडू , 14 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल की सत्ता द्वारा उपेक्षित तराई के लोगों ने ऐतिहासिक संविधान सभा के चुनावों में इस बात का बदला अच्छे ढंग से लिया है।
काठमांडू , 14 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल की सत्ता द्वारा उपेक्षित तराई के लोगों ने ऐतिहासिक संविधान सभा के चुनावों में इस बात का बदला अच्छे ढंग से लिया है।
तराई की क्षेत्रीय पार्टियां अब तक घोषित 173 सीटों में से 21 पर विजय हासिल करके माओवादियों, नेपाली कांग्रेस और यूएमएल के बाद चौथी बड़ी ताकत के रूप में उभरी हैं।
उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाले मधेशी जनाधिकार फोरम ने 15 सीटें जीती हैं और तराई के कई निर्वाचन क्षेत्रों मंे वह आगे चल रहा है। पूर्व नेपाली कांग्रेस के सदस्य और मंत्री महंत ठाकुर द्वारा स्थापित तराई मधेश लोकतांत्रिक पार्टी (टीएमएलपी) के खाते में छह सीटें गई हैं।
नेपाल की करीब 40 प्रतिशत आबादी तराई में रहती है। 240 चुनाव क्षेत्रों में से 116 इसी क्षेत्र में पड़ते हैं।
उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाला फोरम 2006 से तराई में ताकतवर बनकर उभरा है। तराई के मधेशी लोगों को नेपाल में नागरिकता और मतदान के अधिकार से पूरी तरह वंचित रखा गया था। नौकरशाही, सेना और न्यायालयों में उनका प्रतिनिधित्व नहीं है।
लेकिन पिछले वर्ष मधेशी लोगों ने एक व्यापक आंदोलन चलाकर भारत नेपाल के बीच खाद्यान्नों और ईंधन की आपूर्ति रोक दी। सरकार को बाध्य होकर संविधान में संशोधन करके उनको सभी अधिकार प्रदान करने पड़े।
मधेशी जनाधिकार फोरम ने माओवादियों की तरह खुद को हथियारबंद संघर्ष के लिए भी तैयार किया और तराई में उनके प्रबल प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरे।
लेकिन मधेशी जनाधिकार फोरम के उदय से सबसे अधिक नुकसान प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला की नेपाली कांग्रेस को उठाना पड़ा है। गौरतलब है कि तराई इलाका नेपाली कांग्रेस का परंपरागत गढ़ माना जाता था।
यदि नई सरकार तराई के लोगों की आशाओं को पूरा करने में नाकाम रही तो प्रदर्शनों और विद्रोहों की नई श्रृखंला शुरू होने की आशंका है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।