लखनऊ में मूर्तियों को लेकर गरमाएगी राजनीति
लखनऊ, 13 अप्रैल (आईएनएस)। अंबेडकर जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को लखनऊ में मूर्तियों को लेकर राजनीति गरमाएगी। बसपा सुप्रीमो और मुख्यमंत्री मायावती जहां सोमवार को डा़ अंबेडकर, कांशीराम और खुद अपनी मूर्तियों का अनावरण करेंगी वहीं इंडियन जस्टिस पार्टी ने ई.वी.रामास्वामी पेरियार की मूर्ति लगाने की मांग को लेकर विधान सभा के सामने 'पर्दाफाश जनसभा' आहूत की है।
लखनऊ, 13 अप्रैल (आईएनएस)। अंबेडकर जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को लखनऊ में मूर्तियों को लेकर राजनीति गरमाएगी। बसपा सुप्रीमो और मुख्यमंत्री मायावती जहां सोमवार को डा़ अंबेडकर, कांशीराम और खुद अपनी मूर्तियों का अनावरण करेंगी वहीं इंडियन जस्टिस पार्टी ने ई.वी.रामास्वामी पेरियार की मूर्ति लगाने की मांग को लेकर विधान सभा के सामने 'पर्दाफाश जनसभा' आहूत की है।
इस बीच आज हजरतगंज में ओसीआर बिल्डिंग के पास लगायी गयी पेरियार की होर्डिंग को कथित रूप से भाजपा कार्यकर्ताओं ने गिरा दिया। अलबत्ता क्षेत्र में दीवारें पेरियार के चित्र वाले पोस्टरों से पटी पड़ी हैं और भाजपा ने इस मुद्दे पर मायावती सरकार को घेरते हुए कहा है कि उसके सरकारी संरक्षण के चलते ही कुछ छुटभैये संगठन पेरियार के महिमामंडन का प्रयास कर रहे हैं जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री 14 अपैल को नवीनीकृत डा़ भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल का लोकार्पण करने के साथ-साथ यहीं पर अंबेडकर, कांशीराम और स्वयं अपनी मूर्तियों का अनावरण भी करेंगी। इस कार्यक्रम के लिए आज अचानक पार्टी के सभी विधायकों, सांसदों और अन्य सभी प्रमुख नेताओं को लखनऊ तलब किया गया है जबकि पहले यह तय हुआ था कि सभी विधायक और सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में ही अंबेडकर जयंती पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
इधर इंडियन जस्टिस पार्टी ने कल पर्दाफाश जनसभा बुलायी है। इंजपा के अध्यक्ष उदित राज ने अभी कुछ दिन पहले ही पेरियार की मूर्ति लगाने के लिए स्थान देने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री मायावती को पत्र लिखा था। उन्होंने प्रदेश सरकार से 14 अप्रैल तक भूमि देने की अपेक्षा करते हुए यह भी कहा था कि अगर तब तक सरकारी जमीन न मिली तो वह निजी भूमि पर पेरियार की मूर्ति स्थापित कर देंगे।
पेरियार के मुद्दे पर कभी मायावती के हम कदम रहे और अब अपनी बहुजन स्वाभिमान संघर्ष समिति के अध्यक्ष आऱ क़े चौधरी ने चार दिन पहले पेरियार की मूर्ति लगाने और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग को लेकर सम्मेलन किया था। कांशीराम के नजदीक रहे आऱ के.चौधरी का कहना है कि बसपा को कांशीराम ने पेरियार की विचारधारा और सिद्घांतों के आधार पर ही आगे बढ़ाया था लेकिन मायावती की बसपा ने उसी विचारधारा से समझौता कर लिया जिससे पेरियार आजीवन लड़ते रहे।
जहां तक मायावती का सवाल है उन्होंने भी वर्ष 2002 में पहले पेरियार की मूर्ति लगाने की कोशिश की थी लेकिन तब सत्ता में साझीदार भाजपा के अड़ जाने के कारण उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा था और अब उनकी नई ईजाद हुई सोशल इंजीनियरिंग ने उनका रास्ता रोक रखा है क्योंकि उन्हें अगड़ी जातियों के समर्थन को भी बरकरार रखना है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा़ रमापति राम त्रिपाठी ने कहा है कि मायावती सरकार ने सदन में कहा था कि उसका कोई इरादा पेरियार के महिमामंडन का नहीं है और सरकार ने यह आश्वासन क्या केवल बसपा के संदर्भ में दिया था। जो भी छुटभैये नेता एक राष्ट्रद्रोही और रामद्रोही को महिमंडित करने का प्रयास कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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