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मलेरिया रोकथाम पर होने वाले खर्च को लेकर उठे सवाल

By Staff
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न्यूयार्क, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। दुनियाभर में मलेरिया के इलाज और उससे बचाव पर हर साल लगभग 22 करोड़ डालर खर्च किए जाने के बावजूद मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, आखिर क्यों?

यह सवाल उठाया है अल्बामा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं राबर्ट जे. नोवाक और इफंट्स जे. मुटुरी की टीम ने।

डा. मुटुरी ने कहा, "मेरा परिवार केन्या में रहता है और उन्हें हर रोज मलेरिया होने का खतरा रहता है। मच्छरदानी मलेरिया रोकने में काम तो करती है लेकिन इसका प्रयोग केवल सोते समय किया जा सकता है। दिन में लोगों पर मलेरिया का खतरा मंडराता रहता है। इसलिए मलेरिया रोधी टीके की सख्त आवश्यकता है।"

वैज्ञानिकों ने कहा कि बिल गेट्स और मिलिंडा फाउंडेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संस्थानों द्वारा दिया जाने वाले धन का उपयोग सही दिशा में नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज मलेरिया के रोकथाम के लिए टीके को विकसित करने की जरूरत है और इस विषय पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

डा. नोवाक ने कहा, "हमें रोगवाहक (मच्छर )उसके परजीवी और मनुष्य तीनों को ध्यान में रखकर काम करना होगा।"

उन्होंने कहा, "हम 'इंटीग्रेटेड मलेरिया मैनेजमैंट कंर्सोटियम' के साथ आसानी से जान सकते हैं कि कहां मलेरिया फैल सकता है और लोगों को उससे बचाव के तरीके बता सकते हैं, लेकिन इसके लिए धन की आवश्यकता है।"

शोधकर्ताओं ने बताया कि दवा और मच्छरदानी पर आश्रित रहना 1960 की मानसिकता है जबकि मलेरिया पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है। बिना पर्याप्त संसाधनों और इच्छाशक्ति के इससे मुकाबला नहीं किया जा सकता।

इस अध्ययन के निष्कर्ष अमेरिकी जर्नल 'ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजिन' के ताजा अंक में 'मलेरिया वेक्टर मैनेजमेंट' शीर्षक से प्रकाशित हुई है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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