नेपाल में कोइराला के रास्ते बंद, प्रचंड और ताकतवर हुए
काठमांडू, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में अब तक घोषित 71 सीटों के परिणामों में 42 पर माओवादियों की जीत हो चुकी है, जबकि 109 सीटों की मतगणना के रूझानों में माओवादी 57 पर आगे चल रहे हैं।
काठमांडू, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। नेपाल में अब तक घोषित 71 सीटों के परिणामों में 42 पर माओवादियों की जीत हो चुकी है, जबकि 109 सीटों की मतगणना के रूझानों में माओवादी 57 पर आगे चल रहे हैं।
इन परिणामों और रूझानों के बाद अब यह लगने लगा है कि कृषि विज्ञान में स्नातक और स्कूल अध्यापक की नौकरी छोड़ कर राजशाही के अंत और समानता की स्थापना के लिए सशस्त्र विद्रोह की शुरूआत करने वाले माओवादी नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड का सपना पूरा होने वाला है।
माओवादियों की इस जीत से प्रधानमंत्री कोइराला को धक्का लगा है जो अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद फिर से सरकार का नेतृत्व करने की आशा लगाए हुए थे।
माओवादियों की जीत को राजा ज्ञानेंद्र के शासन का अंत माना जा रहा है। राजा अपने पूर्वजों के सिंहासन को संवैधानिक राजशाही के द्वारा बनाए रखना चाहते हैं।
माओवादियों की जीत में युवा मतदाताओं और महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है। युवाओं की संख्या कुल मतदाताओं का 35 प्रतिशत हैं जबकि महिलाओं का प्रतिशत 53 है।
नेपाल के चुनावों में सबसे अधिक झटका नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (यूएमएल) को लगा है। काठमांडू में 1999 के चुनावों में सभी सीटें जीतने वाली यूएमएल को हार का सामना करना पड़ा है।
काठमांडू की 10 में से चार पर माओवादी विजयी हुए हैं जिनमें प्रचंड भी शामिल हैं। ललितपुर जिले की सभी तीन सीटों पर माओवादी विजयी रहे हैं।
बहरहाल कोइराला सरकार से जनता का मोहभंग स्पष्ट रूप से सामने आ गया है। जहां माओवादियों के सभी मंत्री जीत चुके हैं या फिर अपने-अपने क्षेत्रों में आगे चल रहे हैं वहीं नेपाली कांग्रेस और यूएमएल के कई मंत्री अपने प्रतिद्वंद्वियों से पीछे चल रहे हैं या उनको हार का सामना करना पड़ा है।
यद्यपि नेपाली कांग्रेस राजधानी में छह सीटों पर विजयी रही है, लेकिन देश के अन्य भागों में उसके सूरमा धूल चाटते नजर आ रहे हैं।
कोइराला की पुत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में बिना विभाग की मंत्री सुजाता तराई के संसुरी जिले में तीसरे स्थान पर ही पहुंच सकी। कोइराला के गृह जनपद मोरंग में माओवादियों ने जीत हासिल की है।
यूएमएल प्रमुख माधव कुमार को माओवादियों के हाथों काठमांडू में अपनी हार के बाद दबाव पड़ने पर इस्तीफा देना पड़ा है।
अपनी जीत के बाद प्रचंड ने शनिवार को संविधान निर्माण के लिए सभी पार्टियों के साथ मिल जुलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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