हरियाणा में सौतेले हुए दूसरे राज्यों के मजदूर
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। हरियाणा में बसे दूसरे राज्यों के मजदूरों को भले ही सरकारी उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा हो लेकिन हरियाणा सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मजदूरों के प्रति उसकी कोई जिम्मेवारी नहीं है।
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। हरियाणा में बसे दूसरे राज्यों के मजदूरों को भले ही सरकारी उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा हो लेकिन हरियाणा सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मजदूरों के प्रति उसकी कोई जिम्मेवारी नहीं है।
इस चौंकाने वाले तथ्य का खुलासा हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा जारी रिपोर्ट से हुआ है।
कुछ समय पहले आयोग ने देशभर के राज्यों से उनके यहां कामकाज के सिलसिले में बसे मजदूरों की स्थिति व उनके कल्याण के लिए किए गए उचित प्रयासों के संबद्ध में विस्तृत जानकारी मांगी थी।
इस रिपोर्ट के आधार पर एनएचआरसी ने बताया कि हरियाणा स्वयं को एक संपन्न प्रदेश मानता है। हरियाणा सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसके यहां बसने वाले बाहरी मजदूरों के लिए वह जिम्मेवार नहीं है।
वर्तमान में इस राज्य में 900 ईटों के भट्टे संचालित हो रहे हैं। बिहार, राजस्थान और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों के मजूदर इन भट्टों में काम करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा सरकार का मानना है कि ये लोग अपनी जिम्मेवारी पर काम के सिलसिले में यहां आएं हैं और अपनी ही जिम्मेवारी पर वापस जाएंगे। सरकार की इनके प्रति कोई जवाबदेही नहीं है।
यही नहीं कुछ समय पहले हरियाणा सरकार की ओर से इस प्रदेश में बंधुआ मजदूरों के नहीं होंने का दावा भी किया गया था।
लेकिन बीते वर्ष श्रम मंत्रालय द्वारा छुड़वाएं गए 582 बंधुआ मजदूरों ने सरकार के इस दावे की पोल खोल दी थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।